प्रकृति तथा कृशि संरक्षण का संदेष देता है ‘हरेला पर्व’
हरियाली और नई ऋतु के आगमन का संकेत है ‘हरेला’: पूज्य आचार्य श्री
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हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ में उत्तराखण्ड का प्रमुख त्यौहार हरेला हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जिसमें पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के साथ माननीय केन्द्रीय मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान की धर्मपत्नी श्रीमती मृदुला प्रधान, माननीय सचिव पशुपालन, मत्स्य पालन, दुग्ध एवं दुग्ध विकास, सहकारिता, ग्रामीण विकास, सीपीडी, यूजीवीएस-आरईएपी श्री बी. पुरुषोत्तम जी तथा मुख्य विकास अधिकारी श्री प्रतीक जैन उपस्थित रहे। पूज्य आचार्य जी ने समस्त प्रदेशवासियों को ‘हरेला पर्व’ की शुभकामनाएं प्रेषित कीं।
इस अवसर पर पूज्य आचार्य जी ने कहा कि हरेला पर्व उत्तराखण्ड का प्रमुख पर्व है जो प्रकृति तथा कृषि संरक्षण का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के प्रत्येक व्यक्ति के लिए हरेला पर्व का विशेष महत्व है। उत्तराखण्ड में इसी दिन से सावन की शुरुआत मानी जाती है हालांकि देश के अन्य हिस्सों में सावन का आगमन पहले हो जाता है। आचार्य जी ने कहा कि हरेला पर्व हरियाली और नई ऋतु के आगमन का संकेत है। पूज्य आचार्य जी ने कहा कि हरेला से 9 दिन पहले सात अनाज- जौ, गेहूं, मक्का, गहत, सरसों, उड़द और भट्ट को रिंगाल की टोकरी में रोपित किया जाता है और किसान हरेले के तिनके देखकर बीज की गुणवत्ता के साथ-साथ इस बात का अनुमान लगा लेते हैं कि इस वर्ष कौन सी फसल उगाना श्रेयकर होगा। हरेला पर्व को केन्द्र में रखते हुए अतिथियों ने पूज्य आचार्य जी के साथ पौधा रोपित किया।
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