जड़ी बूटी दिवस :  पतंजलि योगपीठ में जड़ी-बूटी दिवस के रूप में  मनाया गया पू.आचार्य बालकृष्ण जी महाराज का जन्मोत्सव

औषधीय पौधों नीम, तुलसी, एलोवेरा, लौंग तुलसी, आंवला का निःशुल्क वितरण हुआ

जड़ी बूटी दिवस :  पतंजलि योगपीठ में जड़ी-बूटी दिवस के रूप में  मनाया गया पू.आचार्य बालकृष्ण जी महाराज का जन्मोत्सव

प.पूज्य आचार्य जी महाराज ने स्वयं रक्तदान कर जनसामान्य को रक्तदान के लिए प्रेरित किया

  हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री परम पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज का जन्मदिवस पतंजलि वैलनेस, पतंजलि योगपीठ-2 के योगभवन सभागार में जड़ी-बूटी दिवसके रूप में मनाया गया। जड़ी-बूटी दिवस के अवसर पर परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व परम पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने उपस्थित जनसमूह को स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ समाज, स्वस्थ राष्ट्र व स्वस्थ विश्व के लिए वृक्षारोपण हेतु संकल्पित कराया। प.पू.स्वामी जी महाराज व प.पू.आचार्य जी महाराज ने वृक्षारोपण तथा प.पू.आचार्य जी महाराज ने स्वयं रक्तदान कर जनसामान्य को रक्तदान के लिए प्रेरित किया।
      कार्यक्रम में परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने परम पूज्य आचार्य जी महाराज को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि प.पू.आचार्य जी का जीवन कर्ममय, पुरुषार्थमय व परमार्थमय है। पूर्वजों से प्राप्त अपने सनातन, सांस्कृतिक शाश्वत तत्वों को जीवन में आत्मसात कर जगत के कल्याण के लिए पूज्य आचार्यश्री ने 50 वर्षों से अधिक तप एवं पुरुषार्थ किया है जो हम सभी के लिए सदैव प्रेरणा देता रहेगा।
   इस अवसर पर प.पू.आचार्य जी महाराज ने कहा कि जन्मदिवस तो मात्र बहाना है, निरंतर राष्ट्रसेवा के कार्य करते हुए, पेड़-पौधे लगाना हमारा लक्ष्य है। हमारी दृष्टि में जन्मदिवस हमारे पूरे साल के कार्यों का रिपोर्ट कार्ड पेश करने तथा भविष्य के लिए चिंतन-मनन करने का दिन है। कार्यक्रम में प.पू.स्वामी जी महाराज व प.पू.आचार्य जी महाराज ने वल्र्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया का पोर्टल लाँच किया। प.पू.आचार्य जी ने बताया कि इस पोर्टल में लगभग 7500 पादप वंश, लगभग 50 हजार से अधिक पादप प्रजातियाँ, 2000 से अधिक भाषाओं (संस्कृत भाषा के नामों सहित), 12 लाख स्थानीय नामों संस्कृत भाषा सहित, 2.5 लाख पर्यायवाची, 6.5 लाख यूनिक रेफरेंस कोड को एक साथ सूत्रबद्ध किया गया है। साथ ही पोर्टल में 10 से अधिक वनस्पति विज्ञान आधारित औषधीय प्रणाली, 964 उपचार पद्धति, 2000 से अधिक स्थानीय समुदायों की जानकारी को व्यवस्थित रूप से संकलित किया गया है।

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   प.पूज्य आचार्य जी महाराज ने बताया कि आज ही पतंजलि विश्वविद्यालय में शल्य-तंत्र आधारित तीन दिवसीय सम्मेलन सुश्रुतकोणका उद्घाटन किया जा रहा है। उपस्थित जनसमूह एवं स्वास्थ्य साधकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि आयुर्वेद की शल्य परम्परा को पतंजलि के माध्यम से नई ऊँचाइयों पर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है जिसके तहत शल्य की पूरी प्रक्रिया को आमजन आधुनिक तकनीक के माध्यम से लाईव देख सकेंगे।
     कार्यक्रम में 887 यूनिट रक्तदान, 280 लोगों का निःशुल्क नेत्र परीक्षण व निःशुल्क चश्मों का वितरण, 412 लोगों की निःशुल्क दंत चिकित्सा व निःशुल्क डेंटल किट वितरण, व्यापक स्तर पर औषधीय पौधों का वितरण व वृक्षारोपण का कार्य किया गया। इस अवसर पर लाखों औषधीय पौधों यथा- नीम, तुलसी, एलोवेरा, लौंग तुलसी, आंवला आदि का निःशुल्क वितरण किया गया। कार्यक्रम में पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध सभी प्रकल्पों तथा शिक्षण संस्थानों के संन्यासी, अधिकारी, कर्मयोगी, शिक्षकगण तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।
 

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