होलिकोत्सव: होली के पावन पर्व पर बासंती नवसस्येष्टि होलीकोत्सव यज्ञ का आयोजन....
सभी देशवासियों से कैमिकल रहित व नशा मुक्त होली का आह्वान: पू.आचार्य जी
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हरिद्वार। होली के पावन अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के खेल प्रांगण में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज तथा कुलपति परम पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के सानिध्य में एक विशेष ‘होलीकोत्सव यज्ञ’ का आयोजन किया गया। ऋषिद्वय ने सभी देशवासियों को बासंती नवसस्येष्टि की शुभकामनाएँ दीं। इस अवसर पर परम पूज्य स्वामी महाराज ने कहा कि होली व दीपावली हमारे पावन पर्व ही नहीं ये जीवन की पूर्णता की एक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि हम होली पर प्रण लें कि हमारे भीतर आत्मग्लानि, आत्मविस्मृति, आत्मसम्मोहन आदि न आए। हम सदा सत्य में आरूढ़ रहते हुए अपने सत्य पथ पर, सनातन पथ पर, वेद पथ पर, ऋषि पथ पर, सात्विकता के पथ पर आगे बढ़ते रहें, नूतन सोपान चढ़ते रहें, आरोहण पाते रहें। सच बात तो यह है कि जिसके जीवन में कोई समर्थ गुरु होता है तो उसके जीवन में हर दिन ही होली और दीवाली है। सनातन संस्कृति के प्रत्येक पर्व को हम योग-यज्ञ के साथ मनाते हैं। योग-यज्ञ हमारी सनातन संस्कृति के प्राण तत्व हैं, आत्म तत्व हैं।
इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य जी महाराज ने कहा कि कैमिकल वाले रंगों के प्रयोग से लोगों की आँखें तथा त्वचा खराब हो जाती है। कुछ लोग कीचड़ से होली खेलते हैं, कुछ लोग होली के पावन पर्व पर नशा करते हैं, भांग व शराब पीते हैं। यह स्वास्थ्य व समाज के लिए हानिकारक है। उन्होंने सभी देशवासियों से कैमिकल रहित व नशा मुक्त होली का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि होली खेलने से पहले अपने शरीर के खुले हिस्सों पर सरसों या नारियल का तेल अथवा कोल्ड क्रीम लगाएँ, इससे हानिकारक रंगों से त्वचा खराब होने की संभावना कम हो जाती है।
कार्यक्रम में भाजपा नेता श्री तरूण विजय, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर जी, श्री राकेश कुमार ‘भारत’, बहन अंशुल, बहन पारूल, बहन प्रवीण पुनिया, स्वामी आर्षदेव, डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय तथा पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि संन्यासाश्रम के विद्यार्थिगण, शिक्षकगण, कर्मयोगी, संन्यासी भाई व साध्वी बहनें उपस्थित रहे।
· सनातन संस्कृति के प्रत्येक पर्व को हम योग-यज्ञ के साथ मनाते हैं। द योग-यज्ञ हमारी सनातन संस्कृति के प्राण तत्व हैं, आत्म तत्व हैं।
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