भ्रमण :  आयुर्वेद पर उच्च स्तरीय गहन अनुसंधान का सर्वोत्कृष्ट संस्थान पतंजलि ही है: बृजेश पाठक

भ्रमण :  आयुर्वेद पर उच्च स्तरीय गहन अनुसंधान का सर्वोत्कृष्ट संस्थान पतंजलि ही है: बृजेश पाठक

हरिद्वार। उत्तर प्रदेश के उप- मुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक  पतंजलि अनुसंधान संस्थान पधारे जहाँ परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज तथा आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने शाॅल तथा पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। पतंजलि की अनुसंधानपरक गतिविधियों का अवलोकन कर श्री पाठक ने कहा कि पतंजलि ने अपने पूर्वज ऋषि-मुनियों की संस्कृति, परम्परा तथा अनुसंधान को संजोकर रखा है। उन्होंने कहा कि पू.स्वामी जी महाराज तथा पू.आचार्य जी महाराज के रूप में योग और आयुर्वेद का दिव्य संगम पूरी मानव जाति को आरोग्य प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से आयुर्वेद पर उच्च स्तरीय गहन अनुसंधान का सर्वोत्कृष्ट संस्थान पतंजलि ही है। उन्होंने पतंजलि हर्बल गार्डन में वृक्षारोपण भी किया।
कार्यक्रम में पू.स्वामी जी महाराज ने कहा कि पतंजलि ने अपने लगभग 3 दशक लम्बे सेवाकाल में अनेक आयाम स्थापित किए हैं। कोरोनाकाल में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय जी व उनकी टीम ने शोध आधारित कोरोनिल वटी तैयार की। हाल ही में पीड़ानिल गोल्ड, पीड़ानिल स्प्रे, लिवोग्रीट तथा लिवामृत एडवांस आदि अनेक प्रामाणिक औषधियाँ तैयार की हैं जिससे रूग्ण मानवता को नवजीवन मिल रहा है। इस अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान के अन्तर्गत अल्प समय में नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं तथा हमारा आगामी लक्ष्य आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर औषधि की मान्यता दिलाना है। उन्होंने कहा कि अभी हम आयुर्वेद को आधुनिक पैरामीटर्स की कसौटी पर कस रहे हैं। अश्वगंधा, तुलसी, गिलोय, अणु तैल आदि पर हमारे शोध को ख्याति प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रों में स्थान मिला है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के लेखन में भी पतंजलि बड़ा कार्य कर रहा है। लगभग 5 लाख श्लोक के संग्रह एवं प्रकाशन, संस्कृत में 3 लाख 60 हजार पौधों के नाम की सूची जल्द ही प्रकाशित कराने का लक्ष्य है। संहिताओं और निघण्टुओं के लेखन का कार्य भी अविरल प्रवाह सम्पादित किया जा रहा है। इसके साथ ही हमने सैकड़ों ग्रन्थों, वनस्पति आधारित पुस्तकों, पाण्डुलिपी आधारित पुस्तकों की रचना कर अद्वितीय कार्य किया है। योग-आयुर्वेद में ही 80 भाषाओं में रिसर्च बेस्ड पब्लिकेशन्स हैं। वल्र्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया ऐसी ही कालजयी रचना है जो आने वाली कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणाप्रद तथा मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा।
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