स्वतंत्रता के इस पर्व पर सम्पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प एवं हमारी भूमिका

स्वतंत्रता के इस पर्व पर सम्पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प एवं हमारी भूमिका

लगभग 20 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर चीन का कब्जा लगभग 50 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर विदेशी कम्पनियों का कब्जा हमें इस देश में दम तोड़रही स्वदेशी शिक्षा, स्वदेशी चिकित्सा, स्वदेशी कृषि, स्वदेशी अर्थव्यवस्था और स्वदेश की भाषा, स्वदेश की संस्कृति और सभ्यता को गौरव दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध होना है। हमारा यह पवित्र अभियान देष के 1 लाख से अधिक गाँवों, 5000 से अधिक तहसीलों और 600 से अधिक जिलों में लाखों समर्पित योग शिक्षकों व करोडों योग साधकों के संकल्प व पुरुषार्थ से लगातार अग्रसर है।…

लगभग 20 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर चीन का कब्जा
लगभग 50 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर विदेशी कम्पनियों का कब्जा
हमें इस देश में दम तोड़रही स्वदेशी शिक्षा, स्वदेशी चिकित्सा, स्वदेशी कृषि, स्वदेशी अर्थव्यवस्था और स्वदेश की भाषा, स्वदेश की संस्कृति और सभ्यता को गौरव दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध होना है। हमारा यह पवित्र अभियान देष के 1 लाख से अधिक गाँवों, 5000 से अधिक तहसीलों और 600 से अधिक जिलों में लाखों समर्पित योग शिक्षकों व करोडों योग साधकों के संकल्प व पुरुषार्थ से लगातार अग्रसर है।

स्वतंत्रता दिवस के गौरवशाली पर्व पर हम उन 7 लाख से ज्यादा वीर वीरांगनाओं, वीर-शहीदों की शहादत को, उनकी कुर्वानी को, उनके जीवन के सर्वोच्च बलिदान को प्रणाम करते हैं, जिन्होंने 1857 की क्रांति से लेकर 15 अगस्त 1947 तक शहादत और कुर्बानी देकर हमें आजादी दिलाई। आज हम आजादी की खुली हवा में श्वास ले रहे हैं, तो उन्हीं की कुर्बानी की बदौलत। आज हम उन सब शहीदों को श्र(ांजलि अर्पित करते हैं, उनके प्रति अपना नमन-प्रणाम करते हैं, जिनकी वजह से यह भारत परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त हुआ और हमने राजनीतिक आजादी पाई। उन वीर-शहीदों का यह अभियान अभी यहाँ रुका नहीं है। आज भी देश में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तरह ही हजारों कम्पनियाँ देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्ड्डतिक व राजनैतिक तौर पर खोखला करने में लगी हैं।

आइये! आजादी के इस पर्व पर हम संकल्प लें कि राजनीतिक आजादी के बाद इन विदेशी कम्पनियों की आर्थिक और सांस्कृतिक गुलामी से भी भारत माता को मुक्त कराएंगे। हमें इस देश में दम तोड़ रही स्वदेशी शिक्षा, स्वदेशी चिकित्सा, स्वदेशी कृषि, स्वदेशी अर्थव्यवस्था और स्वदेशी की भाषा, स्वदेशी की संस्कृति और सभ्यता को गौरव दिलाने के लिए भी प्रतिबद्ध होना है। हमारा यह पवित्र अभियान देश के 1 लाख से अधिक गाँवों, 5000 से अधिक तहसीलों और 600 से अधिक जिलों में लाखों समर्पित योग शिक्षकों व करोड़ों योग साधकों के संकल्प व पुरुषार्थ से लगातार अग्रसर हैं राजनीतिक आजादी के बाद अब इस देश को आर्थिक और सांस्कृतिक आजादी दिलाने का काम भी पतंजलि योगपीठ के द्वारा होगा और सम्पूर्ण अर्थ में आजादी लाने का काम हम सब मिलकर के पूरा करेंगे और जीवन के जिस भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं वहीं पर हमें पुरुषार्थ के नये कीर्तिमान बनाकर अपने कर्मों से अपनी मातृभूमि की आराधना-अर्चना करते हुए इस भारतवर्ष को बहुत ऊँचाई पर लेकर जाना है। हम सब मिलकर चंद्रशेखर, राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह के सपनों का भारत, महात्मा गांधी, लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटल, स्वामी विवेकानन्द और महर्षि दयानन्द के सपनों का भारत बनाने के लिए अपने-अपने स्तर पर पूर्ण पुरुषार्थ करें और कर्म से अपने राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मान कर, राष्ट्रहित के लिए अपने जीवन के सर्वोच्च बलिदान देने तक के लिए प्रतिबद्ध होते हुए पूर्ण पुरुषार्थ से मातृभूमि की आराधना करें। अतः स्मरण रहे कि शासन-प्रशासन अपना प्रयास करेगा पर सर्वाधिक प्रयास हमें अपने जीवन में करना है। अपने दैनिक जीवन में स्वदेशी के कुछ व्रत, कुछ संकल्प धारण करें ताकि अपने शहीदों के सपनों को पूरा करके भारत को विश्व की आर्थिक व आध्यात्मिक महाशक्ति बना सकें।

स्वदेशी का संकल्प:

(शून्य तकनीक की विदेशी वस्तुओं के 100ः बहिष्कार का संकल्प)

क्योंकि अभी भी लगभग 50 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर विदेशी कम्पनियों का कब्जा है। पहले एक ईस्ट इंडिया कम्पनी की लूट, जिसके खिलाफ लगभग सौ वर्ष कि हमने जंग लड़ी, वही लूट बदस्तूर आजादी के बाद भी जारी है। लगभग 20 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था पर चीन का कब्जा है। यूरोप और दुनिया के ताकतवर मुल्क भारत को एक बाजार समझ करके यहाँ लूटमार और तरह-तरह के अत्याचार करने में लगे हुए हैं।
देश आर्थिक दृष्टि से मजबूत होना चाहिए, क्योंकि जिस देश की आर्थिक व्यवस्था सुदृढ़ होती है, अर्थव्यवस्था में राष्ट्र सर्वोपरि होता है तो उसकी सैन्य व्यवस्था, उसकी शिक्षा व्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था, सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलु बहुत ऊँचे व सुदृढ़ होते हैं। देश को आर्थिक स्वावलम्बन दिलाने के लिए पूरे देश में हमने अभियान चलाया कि आजादी के 72वें पर्व पर देश को आर्थिक आजादी दिलाने के लिए पतंजलि के लिए स्वदेशी के संकल्प के साथ जुड़ें और यह संकल्प करें कि मैं जीवन में कम-से-कम शून्य तकनीक से बना हुआ किसी भी विदेशी कम्पनी का सामान इस्तेमाल नहीं करूँगा, तो इसी से हम भारत माता की बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं। इस छोटे से संकल्प से बहुत बड़ा कार्य होगा और स्वदेशी में भी आश्रम अर्थात् पतंजलि की बनी हुई वस्तुओं को वरीयता देनी है, क्योंकि पतंजलि किसी व्यक्ति या परिवार की कम्पनी नहीं बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों की कम्पनी है। इसकी एक-एक पैसे की कमाई केवल भलाई के कामों में लगाई जाती है। पतंजलि का संकल्प है लाभांश (प्रांफिट) से 100 प्रतिशत सेवा (चैरिटी) व देश के लोगों को मिलावट के जहर से बचाना।
स्वंय भी स्वदेशी का पालन करें और संकल्प लें कि हम सभी को स्वदेशी व पतंजलि के उत्पादों के प्रयोग के लिए सोशल मीडिया, माउथ मीडिया के माध्यम से प्रेरित व प्रचारित करेंगे।

शिक्षा में स्वदेशी का संकल्प:

हम आज यह संकल्प लें कि मैकाले की शिक्षा पद्धति के स्थान पर इस देश में दोबारा से भारतीय शिक्षा पद्धति की प्रतिष्ठा हो। इसके लिए पतंजलि योगपीठ व्यापक स्तर पर कार्य करने जा रहा है। आचार्यकुलम् उसकी शुरूआत है। अभी इस देश में हमें बहुत बड़े-बड़े काम करने हैं और पतंजलि ने उसकी आधारशिला डाल दी है। आचार्यकुलम्, पतंजलि गुरुकुलम् और वैदिक गुरुकुलम् के माध्यम से हमने मैकाले की शिक्षा पद्धति के खिलाफ आजादी के बाद का सबसे बड़ा भारतीय शिक्षा का आन्दोलन शुरू किया है और इसकी बहुत बड़ी आधारशिला तैयार करके मैकाले की शिक्षा पद्धति का विकल्प इस देश में हम तैयार कर रहे हैं। आइये! संकल्प लें कि हम अपने बच्चों को भारतीय शिक्षा व्यवस्था वाले विद्यालय में ही पढ़ाएंगे।
भविष्य में पतंजलि की योजना है समग्र विकास के लिए भारतीय वैदिक बोर्ड की स्थापना करके शिक्षा का स्वदेशीकरण अर्थात् भारतीयकरण करना।

स्वदेशी स्वस्थ जीवन प(ति का संकल्प:

(प्रतिदिन योग का संकल्प)

पूज्य स्वामी जी महाराज के संकल्प व पुरुषार्थ से हमारे ऋषियों की वैज्ञानिक परम्परा ‘योग’ आज गुफाओं, ग्लेमर व ग्रन्थों से निकलकर घर-घर से लेकर गाँव-गाँव तक व विश्व के 200 देशों में पहुँचा है। आइये हम संकल्प लें कि ‘योग’ को अपने दैनिक जीवन में अपनाकर योगव्रती बनकर स्वस्थ जीवन पद्धति का पालन करेंगे।

चिकित्सा में स्वदेशी का संकल्प :

(स्वदेशी भेषज का संकल्प)

भारतीय शिक्षा पद्धति के साथ-साथ भारतीय चिकित्सा पद्धति जो नेपथ्य में चली गई थी वह भी पतंजलि योगपीठ के पुरुषार्थ से अब पुनः प्रतिष्ठित हो रही है, चरक, सुश्रुत और धन्वंतरि द्वारा प्रदत्त विश्व की प्रथम चिकित्सा पद्धति देने वाले राष्ट्र को आज विदेशी चिकित्सा पद्धति का गुलाम बनाकर लूटने का षड्यंत्र हजारों विदेशी कम्पनियाँ कर रही हैं। पतंजलि 3000 से अधिक पतंजलि चिकित्सालयों व आरोग्य केन्द्रों के माध्यम से आयुर्वेद का निःशुल्क परामर्श प्रदान कर रहा है, इसके साथ आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए 500 करोड़ से अधिक लागत का प्रोजेक्ट पतंजलि रिसर्च लैब में प्रारम्भ किया गया है जिसमें आयुर्वेदिक औषधियों पर एनिमल व क्लिनिकल ट्रायल किये जायेंगे। वल्र्ड हर्बल इन्साइक्लोपिडिया से लेकर पाण्डुलिपियों में बिखरे भारतीय प्राचीन विज्ञान पर शोध का कार्य पतंजलि द्वारा वैज्ञानिक व विश्व स्तरीय मापदण्डों पर किया जा रहा है, जो भारतीय चिकित्सा पद्धति को भारत ही नहीं पूरे विश्व की चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित करने का कार्य होगा। आइये! हम अपने जीवन में संकल्प लें कि आयुर्वेद विज्ञान का पालन करके व प्रतिदिन योग करके अपने आपको स्वस्थ रखेंगे और कभी आपातस्थिति में चिकित्सा की आवश्यकता भी पड़ी तो आयुर्वेद से ही अर्थात् स्वदेशी भेषज से ही अपना उपचार करेंगे।

भाषा में स्वदेशी का संकल्प:

किसी देश का स्वाभिमान उसकी अपनी मातृभाषा के साथ जुड़ा रहता है। हमें अपने खोए स्वाभिमान को पुनः जगाने के लिए मातृभाषा को गौरव के साथ अपनाना होगा। आज से ही हम संकल्प लें कि अपने हस्ताक्षर केवल हिन्दी या अपनी मातृभाषा में करेंगे। देखने में चाहे यह छोटी सी बात लगे लेकिन कुछ प्रतीक होते हैं जिनसे स्वदेशी का संकल्प दृढ़ होता है और दूसरों को प्रेरणा मिलती है।

कृषि में स्वेदशी का संकल्प:

पतंजलि योगपीठ द्वारा पतंजलि ग्रामोद्योग प्रकल्प के माध्यम से कुदरती खेती पर प्रयोग किये जा रहे हैं तथा देशभर में पतंजलि किसान सेवा समिति के माध्यम से किसानों को रासायनिक खादों व कीटनाशकों के जहर से बचाने के लिए विषमुक्त खेती का प्रचार किया जा रहा है। आइये इस स्वतंत्रता दिवस पर यदि हम किसान हैं तो संकल्प लें कि हम कुदरती खेती करेंगे, स्वदेशी परम्परागत बीजों को बचायेंगे, खेती में गोमाता के गोबर गौमूत्र का प्रयोग करेंगेे। यदि हम स्वयं किसान नहीं है तो संकल्प लें कि हम अपने आहार में किसी किसान के खेत से विषमुक्त खेती के उत्पादों को खरीदकर प्रयोग करेंगे। अपने घर के प्रांगण या छत पर विषमुक्त सब्जियां उगायेंगे, अपने आसपास विषमुक्त खेती करने वाले किसानों के उत्पादों का प्रचार करेंगे, उनको प्रोत्साहित करेंगे, उनकी उपज को स्वयं क्रय करेंगे तथा अपने मित्रों, जानकारों, परिचितों में स्वदेशी कुदरती कृषि उत्पादों का प्रचार करके किसानों के स्वावलम्बन में सहयोग करेंगे।
आज पतंजलि के उत्पादों के निर्माण में जो भी राॅ-मटीरियल आता है वह किसी कारखाने से नहीं बल्कि अधिकतर किसानों के खेत से पैदा होकर आता है।

डिजिटल गुलामी से मुक्ति के लिए स्वदेशी साॅफ्टवेयर व एप्स के प्रयोग का संकल्प:

आज इन्टरनेट, साॅफ्टवेयर, एप्लीकेशन, डिजिटल माध्यम व सोशल मीडिया पर विदेशी कम्पनियों का कब्जा है। आज चीन में बने हुए मोबाइल व एप्लीकेशन के द्वारा हमारी सेना से लेकर देश के नागरिकों व सरकार की महत्वपूर्ण जानकारियाँ, हमारा सारा डाटा दुश्मन देशों व कम्पनियों के पास जा रहा है, जिससे हमारे देश में सुरक्षा को गम्भीर खतरा पैदा हो रहा है। चीन ने अपने देश में अपना डिजिटल सोशल मीडिया बनाया हुआ है। वह किसी विदेशी एप, सोशल मीडिया को अपने देश में अनुमति नहीं देता। चीन ने गूगूल, फेसबुक, ट्वीटर, विकिपीडिया से लेकर यू-ट्यूब तक का अपना विकल्प बनाया हुआ है, उन्होंने अपने देश में फेशबुक, गूगल, ट््वीटर, यू-टयूब को प्रतिबन्धित किया हुआ है। आज फेसबुक के सबसे ज्यादा यूजर भारत में हैं और एक भारतीय अकाउंट से लगभग 7000 रुपये प्रतिवर्ष प्रति प्रयोगकर्ता विज्ञापन दिखाकर आमदनी फेसबुक को होती है।
जब हमारा पड़ोसी देश चीन अपने लिए व्हाट्स-एप का स्वदेशी विकल्प वी-चैट तैयार कर सकता है तो हम अपने देश में स्वदेशी सोशल मीडिया खड़ा क्यों नहीं कर सकते हैं पतंजलि ने इसकी शुरूआत करते हुए आजादी के इस पावन पर्व पर डिजिटल आजादी का जश्न मनाने के लिए KimbhoAap को लांच कर दिया है विधिवत लांच उसका यद्यपि 27 अगस्त को किया जाएगा, इसमें ॅींजे।ंच से भी एडवांस फीचर्स, उससे एडवांस यूजर इण्टरफेस, उससे एडवांस सेफ्टी है और पतंजलि की तरफ से डिजिटल क्रान्ति की एक नई शुरूआत भी आजादी के पर्व पर स्वदेशी किम्भोः चैटिंग एप के साथ हुई है।

पतंजलि ने किम्भोः एप, जिसका संस्कृत में अर्थ है ‘क्या हुआ?’, लांच की है जो पूर्णतया स्वदेशी है, जिसका सर्वर भी स्वदेशी है। हम संकल्प लें कि अपने जीवन में हम स्वदेशी सोशल मीडिया का प्रयोग करेंगे और पूरी दुनिया के सामने चीन की तरह स्वदेशी डिजिटल भारतीय विकल्प खड़े करेंगे।

आइये! हम केवल स्वदेशी का संकल्प लें और स्वयं किम्भोः डाउनलोड करें और अपने सभी जानने वालों, मित्रों तथा परिजनों को इसके प्रयोग के लिए प्रेरित करें। स्वदेशी से देश को स्वावलम्बी बनाने का सबसे बड़ा अभियान जो आपकी संस्था पतंजलि चला रही है, उस स्वदेशी अभियान के आप योद्धा हैं, आजादी के पर्व पर इस देश को आर्थिक, सांस्कृतिक व वैचारिक आजादी दिलाने के लिए आप सब लगे हुए हैं। हमें इन सब संकल्पों को जीवन में धारण करना है तथा शहीदों के सपनों का सम्पूर्ण स्वदेशी भारत बनाना है।

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