श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने रखा गंगा स्वच्छता का ख्याल
चतुर्वेद महापारायण यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात् संन्यास दीक्षुओं की शोभा यात्रा हरिद्वार। सबसे पहले देव, ऋषि, सूर्य, अग्नि आदि को साक्षी मानकर सभी संन्यास दीक्षुओं का ऋषिग्राम में मुख्य विरजा होम तथा मुंडन संस्कार किया गया। 21 मार्च से नवनिर्मित ऋषिग्राम में संचालित चतुर्वेद महापारायण यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात सभी संन्यास दीक्षुओं की शोभा यात्रा के साथ वीआईपी घाट के लिए प्रस्थान किया। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के गंगा स्वच्छता अभियान और माननीय प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी जी की नमामि गंगे परियोजना को ध्यान में रखते हुए सभी…
चतुर्वेद महापारायण यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात् संन्यास दीक्षुओं की शोभा यात्रा
हरिद्वार। सबसे पहले देव, ऋषि, सूर्य, अग्नि आदि को साक्षी मानकर सभी संन्यास दीक्षुओं का ऋषिग्राम में मुख्य विरजा होम तथा मुंडन संस्कार किया गया। 21 मार्च से नवनिर्मित ऋषिग्राम में संचालित चतुर्वेद महापारायण यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात सभी संन्यास दीक्षुओं की शोभा यात्रा के साथ वीआईपी घाट के लिए प्रस्थान किया। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के गंगा स्वच्छता अभियान और माननीय प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी जी की नमामि गंगे परियोजना को ध्यान में रखते हुए सभी का मुंडन ऋषिग्राम में ही किया गया तथा सांकेतिक रूप से सभी संन्यास दीक्षुओं ने शिखासूत्र केवल एक-दो केश व यज्ञोपवीत पतित पावनी माँ गंगा के पावन जल में विसर्जित की। सभी ऋषि-ऋषिकाओं ने गंगा स्नान पश्चात् अपने श्वेत वस्त्र त्याग भगवा वस्त्र धरण किया। इसके बाद योगर्षि स्वामी जी महाराज और अन्य प्रमुख संतों ने 92 संन्यास दीक्षुओं को सिर पर पुरुषसुक्त के मंत्रों से 108 बार गंगा जल से अभिषेक कर संन्यास संकल्प दिलाया।
दीक्षा के समय भावों की गंगा में बह रहे थे परिजन
हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ की ओर से ऋषिग्राम और गंगा किनारे वीआइपी घाट पर एक तरपफ जब ब्रह्मचर्य जीवन जीने वाले संन्यास दीक्षा लेकर अपने शेष जीवन को राष्ट्रधर्म को समर्पित कर रहे थे उस समय परिवार के लोगों के चेहरे के भाव देखकर भी उनका मन भी पल भर के लिए द्रवित हो उठा जबकि परिजन अपने कलेजे के अजीज को सदा के लिए अपने से दूर होता देख भावों की गंगा में बह रहे थे। सबकी आँखें आयोजन के दौरान कभी नम हो रही थी तो कभी राष्ट्रधर्म का ख्याल आते ही दृढ़निश्चयी दिखाने की खूब कोशिशें भी की गई। मगर गंगा तट पर कुछ युवाओं के बुजुर्ग अभिभावक अपने आंसुओं को चाहते हुए भी नहीं रोक सके। वे गले से लिपटकर भाव विहवल हो उठे। -साभारः दैनिक जागरण’