भारत योग, आयुर्वेद, वेद, संस्कारों और संस्कृति का देश

अमृत महोत्सव: पू.स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज के 75वें अवतरण दिवस पर

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    पुणे (महाराष्ट्र)। आलंदी पुणे में गीताभक्ति अमृत महोत्सव पूज्य स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज के 75वें अवतरण दिवस के पावन अवसर पर आनंदोत्सव कार्यक्रम में अनेक पूज्य संतों का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। इस दिव्य अवसर पर पूज्य संतों का उद्बोधन, आशीर्वचन व आशीर्वाद सभी भक्तगणों को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्य आचार्य श्री विजेन्द्र सरस्वती जी महाराज ने कहा कि 12 वर्ष में एक बार कुम्भ मेले का आयोजन, हरिद्वार प्रयाग, उज्जैन व नासिक में होता तब कल्पवास में ऐसे दिव्य दृश्य देखने को मिलते हैं। कुम्भ में संत समागम होता है। महाराष्ट्र संतों की भूमि है। बारह ज्योतिलिंग में सबसे अधिक ज्योतिलिंग व अष्टविनायक भी यहां पर है। आदिगुरु शंकराचार्य जी ने जो एकता का संदेश दिया वह महाराष्ट्र की भूमि में आज भी दिखायी देता हैं भारतीय संस्कृति गाय, तीर्थ क्षेत्र, प्रकृति, विग्रह व मूर्ति चेतना में विश्वास करती है। 22 जनवरी की प्राणप्रतिष्ठा से देश का गौरव बढ़ा है।
     परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि गोविन्ददेव गिरि जी महाराज भारत का सांस्कृतिक नेतृत्व कर रहे है। महाराष्ट्र की भूमि ने अपने उद्भव से लेकर अबतक अनन्त ज्ञान, भक्ति, शक्ति, शौर्य और पराक्रम सब कुछ दिया है परन्तु इस कलिकाल में स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज ने सब कुछ प्रदान कर दिया। वे धर्म व वेद के विग्रहवान स्वरूप है। उन्होंने कहा कि स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी गीता का प्रचार विश्व स्तर पर कर रहे हैं। हमें स्वेदशी भाषाओं का संरक्षण करना चाहिये क्योंकि यह अत्यन्त आवश्यक है। इस समय भारत में पुननिर्माण का कार्य हो रहा है। परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री मा. प्रधानमंत्री श्री नरेद्र मोदी जी ने 11 दिन का उपवास नारियल का पानी पी कर किया इसके माध्यम से उन्होंने उत्तर और दक्षिण के मिलन व एकता का संदेश दिया।
    पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ये आलंदी का महाकुम्भ है। आज हम एक ऐसे महापुरुष स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरि जी का जन्मदिवस मना रहे है जो दिव्यता, शुचिता व शुद्धता के प्रतीक हैं। महाराष्ट्र की धरती ने मराठांे ने शिवाजी ने सनातनको जीवन्त व जागृत रखा। हमारे गांव-गांवों में समायोजक होना आवश्यक है। मंदिरों में समाज का निर्माण होता है साथ ही दायित्वों का निर्माण करने वाला भी होना चाहिए। मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश मा.योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वैदिक सनातन धर्म के लिए अपने पुरुषार्थ, साधना व परिश्रम से स्वामी गोविन्ददेव जी ने जो कार्य किये वह अद्भुत है। यह उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर है।
 

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