संस्कृति : गोवर्धन पूजा व भाई-दूज को पतंजलि में घूमधाम से मनाया गया
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हरिद्वार। पतंजलि प्रतीक है संस्कृति व संस्कारों के लिए, इसलिए हमारा दायित्व है कि इसके वैज्ञानिक व सनातन स्वरुप को पूरे विश्व में पहुँचे। गोवर्धन पूजा व भाई-दूज के पावन त्यौहार के अवसर पर पतंजलि के कर्मयोगी भाई-बहनों व ब्रह्मचारी संन्यासी व साध्वियों को उद्बोधन देते हुए योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा भाई-बहनों का पवित्र त्यौहार हमारी पारिवारिक पवित्रता के साथ सामाजिक उच्चता को भी दर्शाता है, आज परिवारों में विघटन व कटुता का जो वातावरण बन रहा है, उसे केवल सनातन परम्पराओं के पालन व हमारे त्यौहारों से शुद्ध रुप से जुड़कर ही रोका जा सकता है। गोवर्धन पूजा के अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने बताया कि गाय के दूध से मनुष्य मात्र का जीवन स्वस्थ व पुष्ट होता है इसलिए गायों की रक्षा का संकल्प मनुष्य मात्र को लेना चाहिए।
हिन्दू शास्त्रों की यह बात सभी धर्मावलम्बियों के लिए समान रुप से स्वीकार होगा, तब देश का भला होगा। गायों की रक्षा से हम गायों के ऊपर एहसान नहीं करते अपितु हम अपने जीवन की रक्षा व जैविक कृषि द्वारा रोगमुक्त समाज के निर्माण के लिए अपने कर्तव्य का निर्वहन करते है। पतंजलि योगपीठ द्वारा भी विषमुक्त कृषि, नैसर्गिंक कृषि, प्राकृतिक खेती के लिए अनेक प्रयोग किये जा रहे हैं, जिससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि हो रही है अपितु लोगों को भी विषमुक्त जैविक अन्न, फल व सब्जियाँ मिल रही हैं। गौ आधारित कृषि से न केवल देश समृद्धशाली बनेगा अपितु निरोग व स्वस्थ भी होगा।
इसके लिए पतंजलि भारतीय नस्लों की गायों को लेकर गहन अनुसंधान व उनके संरक्षण के लिए अनेक कार्यों का सम्पादन भी कर रहा है।
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