पतंजलि विश्वविद्यालय में महर्षि दयानन्द सरस्वती  का द्विशताब्दी जन्मोत्सव कार्यक्रम

पतंजलि विश्वविद्यालय में महर्षि दयानन्द सरस्वती  का द्विशताब्दी जन्मोत्सव कार्यक्रम

   हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में समाज सुधारक, शिक्षाविद, कर्मयोगी, स्वाधीनता के योद्धा महर्षि दयानन्द सरस्वती का द्विशताब्दी जन्मोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर पतंजलि की सेवा, साधना व अनुसंधान का सिंहावलोकन मूर्धन्य वक्ताओं द्वारा किया गया।
   कार्यक्रम में परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि हम महर्षि दयानन्द के सपनों का विश्व बनाने के लिए प्रतिबद्ध व संकल्पित हैं। महर्षि दयानन्द ने वेदों के अनुरूप इन्द्रं वर्धन्तो अप्तुरः कृण्वन्तो विश्वमार्यम्। अपघ्नन्तो अराव्णः।का संदेश हमें दिया। सर्वप्रथम महर्षि दयानन्द ने कहा कि जाति केवल एक मनुष्य की है, बाकि जात-पात, ऊँच-नीच, छल-छद्म पाखण्डी लोगों का काम है। महर्षि दयानन्द ने कहा है कि अपना सामथ्र्य इतना बढ़ाओं कि सारे भेदभाव तुम अपने कर्म, चरित्र व आचरण से दूर कर सको। परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि पतंजलि योगपीठ जात-पात, वर्ग-समुदाय, भेदभाव, ऊँच-नीच के अंतर को समाप्त कर एक मनुष्यता के सूत्र में, एक वेद के सूत्र में, एक ऋषियों के मार्ग पर, एक सनातन पथ पर चलने की प्रेरणा देने वाला और सनातन धर्म का मूत्र्तरूप संस्थान है। यहाँ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, आदिवासी, दलित, वनवासी आदि सब एक साथ समान शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। हम साझी संस्कृृति के उपासक हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भारत ही है जहाँ अपने आदर्शों, महापुरुषों, अपने अवतारी पुरुषों पर सबसे ज्यादा दोष मढ़ें गए हैं।

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       कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति परम पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि यह हम सबका सौभाग्य है जहाँ गुरुवर महर्षि विरजानंद, महर्षि दयानन्द, स्वामी श्रद्धानन्द जैसे महापुरुषों का संदेश विचार पाथेय के रूप में प्राप्त होता रहता है। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पतंजलि में आपके लिए कई विधाएँ व सम्भावनाएं हैं, हम सभी मिल-जुलकर अग्रणी बनें तथा शिक्षा व चिकित्सा की गुलामी से भारतवर्ष को मुक्ति दिलाएं। हमारी शिक्षा पद्धति वेद आधारित हो, ऐसा ही महर्षि दयानन्द जी का भी स्वप्न था। उन्होंने कहा कि जात-पात व ऊँच-नीच के भेद को समाप्त करने में युग के महान् समाज सुधारकों, योगियों, योद्धाओं, पुरोधाओं, वीर-पराक्रमी महापुरुषों और ऋषि परम्परा के संवाहकों में महर्षि देव दयानन्द का बड़ा योगदान है। प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल जी ने अपने उद्बोधन में महर्षि दयानन्द जी के दिव्य उपदेशों को उपस्थित प्रतिभागियों से साझा किया। उन्होंने बताया कि स्वामी दयानन्द जी ने वेदों के अमृत संदेश को पूरे विश्व में प्रचारित-प्रसारित किया। भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष श्री एन.पी. सिंह ने कहा कि भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से मैकाले की दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति के स्थान पर पतंजलि द्वारा प्रतिपादित वेद आधारित शिक्षा को स्थापित कर पतंजलि ने महर्षि दयानन्द के सपने को पूरा किया है। भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी आदरणीय श्री राकेश कुमार जी ने कहा कि पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व प.पू.आचार्य जी महाराज महर्षि देव दयानंद जी के मानस पुत्रों के रूप में उनके दिए संदेश को पूरे विश्व में फैला रहे हैं। उन्होंने पतंजलि योगपीठ द्वारा संचालित संगठन सेवा पर विस्तार से प्रकाश डाला। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. अनुराग वाष्र्णेय तथा पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख डाॅ.वेदप्रिया आर्या जी ने पतंजलि की अनुसंधानपरक गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में पतंजलि की डाक्यूमेंट्री शून्य से शिखर की यात्राव विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक गीत-संगीत को प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी स्वामी परमार्थदेव, प्रो.के.एन.एस.यादव, डाॅ. प्रवीण पूनिया, डाॅ.मनोहर लाल आर्य एवं गणमान्य अतिथिगण उपस्थित रहे।

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