शैक्षणिक संगोष्ठी : स्वदेशी शिक्षा प्रणाली अपनायें युवा पीढ़ी
युवाओं में प्राचीन भारतीय ज्ञान एवं परम्परा को आधुनिक शिक्षा में समावेश करना
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हरिद्वार। परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने युवा पीढ़ी में भारतीय मूल्यों और दृष्टिकोणों के समावेशन के साथ उन्हंे वैश्विक नेतृत्व में बदलने हेतु स्वदेशी शिक्षा प्रणाली के नवीन आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित किया। यह बातें उन्होंने पतंजलि में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहीं।
हरिद्वार में आयोजित परिवर्तनकारी शैक्षणिक संगोष्ठी का समापन हो गया हो। यह संगोष्ठी पतंजलि विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित की गई थी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय ज्ञान एवं परम्परा को आधुनिक शिक्षा में समावेश करना था। परम पूज्य आचार्य जी महाराज ने प्रतिभागियों को उनके विद्यालय प्रणाली में सांस्कृतिक लोकाचार को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने भाग लेने वाले संगठनों को बीएसबी के युवा पीढ़ी को भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संवेदनाओं में निहित करने के लक्ष्य में सह-यात्री बनने के लिए भी आमंत्रित किया। संगोष्ठी में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान, भारतीय शिक्षण मंडल, ईशा योग फाउंडेशन, रामकृष्ण मिशन शैक्षिक और शोध संस्थान जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थानों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि को सुसंगत बनाने और पाठ्यक्रम में आधुनिक शैक्षणिक पद्धतियों के समावेशन पर चर्चा की गई।
भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ.एन.पी.सिंह ने कहा कि यह संगोष्ठी हमारे पारम्परिक ज्ञान और मानव मन के विकास की वैज्ञानिक समझ के साथ समकालीन शिक्षा प्रणाली को आकार देने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा शैक्षिक परिस्थिति का तंत्र बनाने के लिए समर्पित हैं, जो न केवल शैक्षणिक उत्कृष्टता, बल्कि समग्र मानव विकास का पोषण करता है।
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