आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद

आयुर्वेद में वर्णित अजीर्ण का स्वरूप, कारण व भेद

सुखस्पर्शविहारं च सम्यगाप्नोत्यतोऽन्यथा।।
इस रीति से सुखपूर्ण व स्वास्थ्यवर्द्धक विहार सम्पन्न होता है, अन्यथा नहीं ।
अतिस्निग्धातिशुष्काणां गुरूणां चातिसेवनात््।
जन्तोरत्यम्बुपानाच्च वातविण्मूत्रधारणात्।।
रात्रौ जागरणात् स्वप्नाद्दिवा विषमभोजनात्।
असात्म्यसेवनाच्चैव न सम्यक् परिपच्यते।।
 अतिस्निग्ध व अतिशुष्क पदार्थों का सेवन करने से, गुरु पदार्थों के अति सेवन से, अधिक जल पीने से तथा मल-मूत्र आदि का वेग रोकने से अन्न का पाचन अच्छी प्रकार से नहीं होता है। इसी प्रकार रात में जागने, दिन में सोने, विषम भोजन करने तथा असात्म्य पदार्थों के सेवन से अन्न का पाचन अच्छी प्रकार से नहीं होता है।
हिताहितं यदैकध्यं भुक्तं समशनं तु तत्।
पूर्वभक्तेऽपरिणते विद्यादध्यशनं भिषक्।।
भूख-प्यास के उपरत हो जाने पर व जठराग्नि के शान्त हो जाने पर अर्थात् भूख मर जाने पर भोजन करना प्रमृताशन कहलाता है। गुण, संस्कार, क्रम व सात्म्य के उल्लंघन से भोजन करना विषमाशन कहलाता है। ये चारों- अर्थात् समशन, अध्यशन, प्रमृताशन व विषमाशन स्वास्थ्य के लिए घातक होते हैं, अतः त्याज्य हैं।
विरुद्धं पयसा मत्स्या यथा वा गुडमूलकम््।
स्यादजीर्णाशनं नाम व्युष्टाजीर्णे चतुर्विधे।।
तथैवात्यशनं ज्ञेयमतिमात्रोपयोगतः।
स (मे) तान्यामयोत्पत्तौ मूलहेतुं प्रचक्षते।।
विरुद्धाशनवह कहलाता है, जिसमें विरोधी पदार्थों का एक साथ सेवन किया जाता है। जैसे-दूध के साथ मछली, गुड एंव मूली खाना परस्पर विरुद्ध है। चार प्रकार का व्युष्टाजीर्ण (प्रभात काल में हुआ अजीर्ण) अजीर्णाशनकहलाता है। इसी प्रकार अधिक भोजन करना अत्यशनकहलाता है। ये सभी विरुद्धाशनआदि व पूर्वोक्त समशनआदि रोगों की उत्पत्ति के मूल कारण माने जाते है।
आहारसात्म्यं देशेषु येषु येषु यथा यथा।
प्रोक्तं तथोपदेष्टव्यं तेषु तेषु तथा तथा।।
जिन-जिन देशों में जो-जो आहार सात्म्य माना गया है, उन-उन देशों में उसी-उसी आहार का उसी प्रकार उपदेश करना चाहिए।

Related Posts

Advertisement

Latest News

आयुर्वेद अमृत आयुर्वेद अमृत
    आयुर्वेद शाष्यत है, अनादि है किंतु पे लगभग 2000 वर्ष पूर्व आयुर्वेद काल, समय, स्थिति के कारण पिछड़ गया
78वां स्वतंत्रता दिवस  :  देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर  पतंजलि योगपीठ में ध्वजारोहण....
दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट को मिला NCVET का Accreditation
बौद्धिक शिविर : पतंजलि योगपीठ में नेपाल राष्ट्र के बौद्धिक वर्ग के प्रबुद्धजनों के लिए ‘प्रबुद्धजन योग विज्ञान शिविर’ का आयोजन
अमेरिका के रिसर्च जर्नल Scientific Reports के अनुसार आयुर्वेदिक  औषधि  रीनोग्रिट है किडनी रोगो के लिए है प्रभावशाली उपचार आयुर्वेद सत्य है, यह एक तथ्य है, क्योंकि अनुसंधान का प्रमाण है -पू.आचार्य श्री
पतंजलि विवि में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ
विचार संगोष्ठी :  हरिद्वार में युवाओं में नैतिकता और आध्यात्मिकता जगाने पर जोर