योग शिविर: योग से राष्ट्रोत्थान सम्भव
देहरादून। संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार राज्य में दो आवासीय संस्कृत महाविद्यालय स्थापित करने जा रही है। दो हजार छात्र क्षमता वाले इन महाविद्यालय का संचालन श्रद्धेय स्वामी जी महाराज का पतंजलि योगपीठ पीपीपी मोड़ पर करेगा। कुमाऊं मंडल में आवासीय संस्कृत महाविद्यालय रुद्रपुर के एएन झा इंटर काॅलेज परिसर में बनाया जाना प्रस्तावित है। जबकि गढ़वाल मंडल में पौड़ी को चुना गया है। सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडे और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री पूज्य आचार्य श्री की अध्यक्षता में आयोजित द्विपक्षीय बैठक में यह निर्णय…
देहरादून। संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार राज्य में दो आवासीय संस्कृत महाविद्यालय स्थापित करने जा रही है। दो हजार छात्र क्षमता वाले इन महाविद्यालय का संचालन श्रद्धेय स्वामी जी महाराज का पतंजलि योगपीठ पीपीपी मोड़ पर करेगा। कुमाऊं मंडल में आवासीय संस्कृत महाविद्यालय रुद्रपुर के एएन झा इंटर काॅलेज परिसर में बनाया जाना प्रस्तावित है। जबकि गढ़वाल मंडल में पौड़ी को चुना गया है। सचिवालय में शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडे और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री पूज्य आचार्य श्री की अध्यक्षता में आयोजित द्विपक्षीय बैठक में यह निर्णय किया गया। साथ ही पतंजलि ने सरकार जीर्ण शीर्ण हालत के चार और संस्कृत विद्यालयों की कमान अपने हाथ में लेने पर सहमति जता दी। इस प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन भी किया जा रहा है। संस्कृत के विकास के लिए भी पूज्य आचार्य श्री की अध्यक्षता में समिति बनाई जा रही है।
बैठक के बाद शिक्षा मंत्री और पूज्य आचार्य श्री ने संयुक्त रूप से इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संस्कृत देवभाषा है। इसके प्रचार-प्रसार के लिए सरकार संकल्पित है। छात्रों की उपलब्धता को लेकर पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि पतंजलि संस्था एक विश्वास का नाम है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि महाविद्यालयों को जल्दी से जल्द शुरू करने का प्रयास किया जाएगा। इनमें पहली से कक्षा से आचार्य अनन्त तक की पढ़ाई होगी।
शिक्षा मंत्री का विपक्ष को चैलंज:
संस्कृत महाविद्यालय और विद्यालयों को पतंजलि को देने पर विपक्ष की ओर से संभावित विरोध को महसूस करते हुए शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडे ने खुली चुनौती दे दी। उन्होंने कहा कि मुझे पता है कि जनहित से जुड़े इस फैसले पर भी कुछ लोग राजनीति जरूर करेंगे। लेकिन उन्हंे मेरा चैलेंज है कि वो संस्कृत के उत्थान के लिए पतंजलि से बेहतर विकल्प लेकर आएं।
‘‘संस्कृत देवभाषा है। उत्तराखण्ड की भूमि से इस देवभाषा के उत्थान के लिए संकल्पित है और पतंजलि भी प्रयासरत है। पतंजलि वर्तमान में कई स्थानों पर विद्यालय संचालित कर रहा है।’’ -आचार्य श्री, महांत्री -पतंजलि योगपीठ