समृद्धि का मूल मंत्र खाद्य तेलों में स्वदेशीकरण
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खाद्य तेलों में स्वदेशीकरण तथा पाॅम प्लांटेशन के क्षेत्र में पतंजलि फूड्स की भावी योजना को पूज्य स्वामी जी महाराज ने आंध्र प्रदेश के पैदापुरम में एक प्रेस-वार्ता कर साझा किया। उन्होंने बताया की खाद्य तेलों में स्वदेशीकरण को लेकर केन्द्र सरकार भी बड़े स्तर पर कार्य कर रही है। प्रेस-वार्ता के दौरान पूज्य स्वामी जी महाराज ने पाॅम प्लांटेशन से लेकर इसके बीजों को क्रश करके तेल निकालने तक की पूरी कार्य प्रणाली, किसानों को पाॅम प्लांटेशन में पतंजलि के सहयोग की पूरी कार्य योजना तथा पाॅम प्लांटेशन से किसान भाइयों को होने वाले लाभ के विषय में बताया। कार्यक्रम में पतंजलि फूड्स के सीइओ श्री संजीव अस्थाना जी ने भी कम्पनी की भावी योजनाओं के विषय में जानकारी दी। हम आपके समक्ष प्रेस-वार्ता के मुख्य बिन्दुओं को साझा कर रहे हैं- सहसंपादक |
प्रेस-वार्ता में पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि पाॅम के नए पौधे को उगाने के लिए सर्वप्रथम इसके बीज को अंकुरित करते हैं। फिर इसको गमले में बो दिया जाता है और फिर बड़ा होकर ये फल देने लगता है। फिर पाॅम प्लांट के बीज को प्रोसेस करके तेल निकाला जाता है।
सामान्यतः पाॅम के पेड़ की आयु 35-40 वर्ष होती है। जैसे-जैसे कोई पेड़ खराब हो जाता है उसके स्थान पर दूसरा पौधा लगाते रहते हैं। पहले तो इसका बीज 16 से 18 टन प्रति हेक्टेअर आता था, अब ये 20 से 25 टन प्रति हेक्टेअर हो गया है। एक पाॅम प्लांट को तैयार होने में करीब 4-5 वर्ष का समय लगता है। बड़ी बात यह है कि अभी तक हम करीब 40 हजार किसानों को इससे जोड़ पाये थे। आने वाले 5-6 वर्षों में हमारा लक्ष्य है कि हम इससे 4-5 लाख किसानों को जोड़ पायें। अभी तक हमने करीब 1 करोड़ पाॅम प्लांटेशन कर लिया है जिसका बड़ा भाग अभी आन्ध्र प्रदेश में है, तेलंगाना में है। अभी असम और नार्थ-ईस्ट में पाॅम प्लांटेशन करना शुरू कर दिया है। कुल मिलाकर हमारा 12 स्टेट में पाॅम प्लांटेशन का कार्य चल रहा है।
हम पाॅम प्लांटेशन की बात करें तो करीब 1 करोड़ प्लांट हम तैयार कर चुके हैं और आगे इसको 8 से 10 करोड़ करने की तैयारी है। आने वाले 6 वर्षों में इसका लाभ होगा। जहाँ करीब हम 5 लाख किसानों से आगे जुड़ पायेंगे, वहीं करीब 1.5 से 2 लाख रुपये का इंडोनेशिया, मलेशिया देशों से हम पाम आयल इम्पोर्ट करना पड़ता है। इससे हमारे फोरेन एक्सेक्स की हानि होती है और हमारे रुपये का भी मूल्यांकन होता है जिसका बुरा प्रभाव हमारी इकोनाॅमी पर भी पड़ता है। जब हमारा इम्पोर्ट ज्यादा होता है एक्पोर्ट कम होता है। जैसे- जैसे हमारा इम्पोर्ट बढ़ता जाता है वैसे- वैसे हमारी देश की अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ती है। देश को आर्थिक रूप से स्वावलम्बी, आत्मनिर्भर बनाने के लिए खाद्य पदार्थ में, खाद्य तेलों में हम देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। इसके लिए हम पैदापुरम में पाॅम प्लांटेशन पर फोकस कर रहे हैं जो आंध्र प्रदेश की धरती पर बड़ा हरा-भरा प्रदेश है। यहाँ ज्यादातर ऐसी फसलें हैं जो आंधी, बरसात, तूफान, अतिवृष्टि तथा अनावृष्टि में खराब हो जाती हैं। एक बार पाॅम प्लांटेशन से लेकर नर्सरी, सेकेंडरी से लेकर और जब ये पाम प्लाॅटेशन पूरा हो जाता है तो इस पर किसी आंधी, वर्षा, तूफान का कोई असर नहीं होता। जो जमीन बंजर, उबड़-खाबड़ है वहाँ पर भी और जो पथरीली जमीन है जिसको किसी के उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। जहाँ किसान को 10-20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की आमदनी होती थी वहाँ 2 लाख रुपये प्रति हेक्टेअर आमदनी हो सकेगी। ये एक बहुत बड़ा मिशन था इसलिए आज हमने ग्राउण्ड जीरो से आकर, यहाँ पाम प्लाॅन्टेशन किया है। यहाँ हमने पाॅम प्लान्टेशन मिशन पतंजलि फूड लिमिटेड की शुरूआत की है जिसका आगामी लक्ष्य बहुत बड़ा है।
पतंजलि फूड लिमिटेड जो पहले रूचि सोया हुआ करता था, उसके साथ अब इन्वेस्टटर भी जुड़े हैं, रिटेल भी जुड़ा है। उसमें बड़े-बड़े विदेशी इन्वेस्टर भी जुड़े हैं। हमारे अब दो लक्ष्य हैं- पहला लक्ष्य है कि हमारे जो भी रिटेल इन्वेस्टर हैं, इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर हैं, बड़े-बड़े फण्ड्स हैं उनका भी लाभ हो और देश की जनता का भी लाभ हो। देश में मंहगाई न बढ़े लेकिन साथ में जो इन्वरे कर रहे हैं उनको भी उनका रिटर्न मिले। इसमें 15 से 18 प्रतिशत और कभी-कभी 20 प्रतिशत भी रिटर्न मिलता है। एवरेज आउट करें तो इसमें 17 से 18 प्रतिशत रिटर्न मिलता है। जोकि किसी भी इण्डस्ट्री के लिए बेस्ट माना जाता है। कोमिडिटी से परे यह एफएमसीजी का पार्ट है। क्योंकि जब हम 10 से 15 प्रतिशत की प्रोफिटीबिल्टी पर जाते हैं, हमारा कितना मार्जन है उसके ऊपर जाते हैं, तो ऑन इन्वेस्टमेंट में जहाँ किसानों को इस पूरे प्लांटेशन का 75 प्रतिशत लाभ होता है तो इससे लगभग 25 प्रतिशत फायदा उसको होता है जो इस कम्पनी को आगे बढ़ा रहे हैं। क्योंकि इसमें बहुत मेहनत लगती है। प्राइमरी नर्सरी, सेकेंडरी नर्सरी से लेकर पाॅम प्लांटेशन तक इस पूरे कालखण्ड में कम्पनी भी खर्च करती है। ये एक अच्छी बात है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र जी ने इसमें करीब 12 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी के रूप में प्लान किया है।
जब भी पाम प्लांटेशन करते हैं तो प्लांटेशन के बाद जब यह पेड़ तैयार होता है तब कम से कम 4 से 5 वर्ष का इसमें ड्राई टाईम होता है। किसान इनके बीच में साग-सब्जी बो सकता है। लौकी, टिंडा, गाजर, आलू, टमाटर हो सकता है लेकिन उसमें तो ज्यादा परिश्रम होता है, तो उसका भी फायदा उठा लेते हैं। जब इसका ड्राई पीरियड का समय होता है तब किसान भाइयों के लिए सरकार ने सब्सिडी का भी प्रयोजन किया है। इसमें जहाँ केन्द्र सरकार सब्सिडी देती है वहाँ राज्य सरकार भी सब्सिडी देती है। यह एक बहुत बड़ा मिशन था जिसकी शुरूआत यहाँ से की है। आने वाले 5 से 7 वर्षों का हमारा लक्ष्य है कि हम लगभग 2000 करोड़ रुपये का पाम प्लांटेशन अचीव कर सकें। हमारे जो इन्वेस्टरर्स हैं, रिटेलर्स हैं, इंस्टीट्यूशंस हैं, बड़े-बड़े फण्ड्स हैं, जो लीगल कम्प्लाइंस हैं पतंजलि फूड्स लिमिटेड उनके हितों के प्रति भी प्रतिबद्ध है। पतंजलि का 30 वर्ष का एक गौरवपूर्ण अतीत है। हमारा ट्रैक रिकार्ड यह है कि हमने जिस काम को अपने हाथों मेें लिया उसको आंदोलन की तरह चलाया। वह चाहे योग का कार्य था, चाहे आयुर्वेद का कार्य था, चाहे स्वदेशी का, चाहे भारतीय चिकित्सा की प्रतिष्ठा का कार्य था। आज हम 1.5 लाख एकड़ में जो पाॅम प्लांटेशन कार्य कर रहे हैं इसको हम 20 लाख एकड़ तक लेकर जाने वाले हैं और 12 स्टेट में, उसमें भी 8 ऐसी स्टेट्स है, जहाँ पर इसमें बहुत ज्यादा प्रगति की संभावना है वह स्टेट्स हैं- तेलांगाना, आन्ध्र प्रदेश, असम, 5 नार्थ-ईस्ट के जिसमें हम इसको आगे बढ़ा रहे हैं। और इसमें करीब 15 लाख एकड़ जमीन एलोकेट हो चुकी है और उसके ऊपर पूरा प्राइमरी नर्सरी, सेकेण्डरी नर्सरी अर्थात् इसका स्प्राउड तैयार करना है। यह स्प्राउड पहले हमें बाहर से लाने पड़ते थे। अब हम स्प्राउड भी यहाँ पर तैयार कर रहे हैं आने वाले 2 वर्षों में हमें करीब 10 करोड़ स्प्राउड की आवश्यकता है जो हम यहीं तैयार करेंगें। 1 स्पाउड का हमें 80 रुपये देना पड़ता है। एक बीज को हम इण्डोनेशिया इत्यादि से लाते थे तो हमें 80 रूपये देने पड़ते थे। तो 10 करोड़ का 800 सौ करोड़ अब हम बाहर नहीं ले जाने देंगे। इसमें हमारा लक्ष्य रहता है कि देश का पैसा देश में रहे। देश की सेवा में, देश की समृद्धि में लगे। हम ये करीब 800 हजार करोड़ देश से बाहर जाने से बचायेंगे। अब हम स्प्राउड भी यहीं तैयार करेंगे। नर्सरी में प्राइमर नर्सरी, सेकेंडरी नर्सरी, पसॅम प्लांटेशन तो किसानों के खेतों में होगा। ये भी पतंजलि की बहुत बड़ी महत्वकांक्षी योजना है। इसमें हम साल दर साल आगे बढ़ते जायेंगे। अभी हमने करीब 1 करोड़ प्राइमरी नर्सरी, सेकेंडर नर्सरी के पेड तैयार कर लिये हैं। आगे 10 करोड पेड और तैयार करेंगे और इससे 5 लाख से ज्यादा किसानों को जोडकर देश के 140 करोड लोगों तक पाॅम आयल से लेकर सरसों का तेल, मूंगफली का तेल, नारियल तेल, सोयाबीन का तेल है, सनफ्लावर आयल आदि सब प्रकार के एडिबल आयल से लेकर सारे फूड प्रोडक्ट पहुँचायेंगे।
आज पतंजलि की रीच 140 करोड भारतीयों तक है। जिसमें 70 से 80 करोड़ लोग रेगुलर पतंजलि के उत्पाद प्रयोग कर रहे हैं उनमें चाहे फूड प्राडक्ट हों, चाहे वह आयल हैं, हनी है, घी है, मेडिकेडिट जूस हैं या नाॅन फूड के प्रोडक्ट हैं। आज हमें यह कहते हुए गौरव है कि हमने जो 31 हजार करोड़ का जो पिछले फाइनेंसियल इयर में टर्न ओवर किया उसका 72 प्रतिशत हमने फूड एवं एफएमसीजी से किया। मात्र कोमेडिटी क्षेत्र में कम्पनी 25 से 28 प्रतिशत तक इस साल थी लेकिन आगे हमारा लक्ष्य होगा 80-20 के अनुपात में होगा। मतलब हमारा एफएमसीजी फूड 80 प्रतिशत हो जायेगा और 20 प्रतिशत में खाली कोमेडिटी रह जायेगा। दुनियां के 200 देशों में करीब 200 करोड़ से ज्यादा लोग हमारे साथ जुड़े हैं। हम जो एक्सपोर्ट करते हैं उस दायरे को भी हम बड़ा रहे हैं। अभी 35 से 40 देशों में एक्सपोर्ट कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य वोकल फाॅर लोकल ही नहीं अपितु लोकल को ग्लोबल बनाना है और पतंजलि फूड्स को एग्री इन्डस्ट्री की सबसे श्रेष्ठ कम्पनी स्थापित करना है। आगे इस कम्पनी का हमारा बहुत बड़ा लक्ष्य है। 48 से 50 हजार करोड़ रुपये तक इस कम्पनी को आने वाले 5 सालों को टर्न ओवर का प्लान है। अभी जो पतंजलि का प्लान चल रहा है उसमें इस साल ग्रुप टर्नओवर पतंजलि का करीब 40 हजार करोड़ का होगा। आने वाले 5 वर्षों में हमारा लक्ष्य है कि हम पतंजलि ग्रुप को धीरे-धीरे 1 लाख टर्नओवर की ओर लेकर जायें। इतने बड़े संकल्प के साथ हम आज आन्ध्र प्रदेश के पैदापुरम में गोपाल कृष्णन रेडडी जी के यहाँ आये हैं। कुछ लोग ऐसे भ्रम में पड़े हैं कि हम किसी की जमीन पर कब्जा करने आए हैं, ऐसा कुछ भी नहीं है। कुछ लोग ऐसे ही भ्रान्तियां फैला देते हैं। हम केवल किसानों के साथ कान्टैक्ट करते हैं और उनको हम पाॅम प्लांट का सीड देते हैं। प्राइमरी और सेकेण्डरी नर्सरी के बाद जब ये पौधे थोड़े बड़े हो जाते हैं तो किसान अपने खेत में इसको लगता है और जब इस पौधे पर फल आते हैं तो किसान इसका तेल नहीं निकाल सकता क्योंकि इसका तेल निकालने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगानी पड़ती है, जो एक किसान नहीं लगा सकता। इसके तोडने के बाद 24 घण्टे के अन्दर इसको क्रासिंग करना पड़ता है। इसका तेल निकालना पड़ता है। यदि तय समय तक इसका तेल नहीं निकालते तो इसका इसके फैटी एसिड का पूरा मैथेमेटिक्स, मैकेन्जिम है पूरी तरह से गडबड़ हो जाता है। फिर ये खाने योग्य भी नहीं रहता। इसलिए 24 घण्टे के अंदर इसका तेल निकालना पड़ता है। नर्सरी से लेकर इसका तेल निकालने तक का कार्य पतंजलि फूड ने अपने हाथो में लिया है। तो मैं सभी किसान भाईयों को यह आशवस्त करना चाहता हूँ कि जब हम पाॅम प्लांटेशन करेंगे तो आपको बेस्ट प्लांट उपलब्ध कराएँगे जो आपको 30 से 40 वर्षों तक फल देगा। सीड की क्रेसिंग के लिए प्लांट लगाना और आपका बीज लेना और उसका सही दाम उपलब्ध कराना और इसके लिए खाद, पानी की व्यवस्थाओं को उपलब्ध कराने में हमारे पास बहुत बड़ी टीम है। पाॅम प्लांटेशन के लिए जितनी प्रशिक्षित टीम पतंजलि फूड्स के पास है वैसी टीम पूरे हिन्दुस्तान में किसी के पास भी नहीं है। ये गौरव की बात है कि आज पतंजलि के पास कुछ कैपेबल लोग हैं, कुछ स्किलफुल लोग हैं जो इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए लगभग 25 सालों से कार्य कर रहे हैं। 25 साालों से पाॅम प्लांटेशन का यह ट्रैक रिकार्ड है जिसे 100 सालों तक यशस्वी बनाने के लिए खुद मैं हरिद्वार से चलकर यहाँ पर आया हूँ। हमारी कम्पनी के सीईओ संजीव अस्थाना जी की इस समस्त कार्य योजना में अहम भूमिका है। पतंजलि फूड्स के लक्ष्य को आगे ले जाते हुए पूरे फूड बिजनेस के नए उत्पादों को हम दिल्ली में को लांच करेंगे।
कार्यक्रम में कम्पनी के सीईओ श्री संजीव अस्थाना ने मीडियाकर्मीयों, किसान भाइयों व पूज्य स्वामी जी महाराज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं दो ही चीजों बताउंगा कि पतंजलि फूड्स का जो विजन है वो एक अलग पैमाने पर स्टेबलिस हुआ है। उसके तीन बिन्दू हैं जिन पर कार्य चल रहा है। इनमें पहला बिन्दू है कि कम्पनी को एक प्रकार से एफएमसीजी की तरफ ले जाना है, जिसके अन्र्तगत हमारे चार बड़े बिजनेस हैं जो पहले ही स्टेबलिस होकर ग्रो हो रहे हैं। इनमें फूड बिजनेस, बिस्कुट, न्यूट्रास्युटिकल और न्यूट्रीला सोया बड़ी का बिजनेस है। उसके अलावा हमारा जो दूसरा केन्द्र बिन्दू है, जिसके ऊपर बहुत कार्य चल रहा है, वह है आॅयल पाम प्लांटेशन का। जिसके बारे में स्वामी जी ने बता दिया है लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि यह देश में अपने प्रकार का एग्रीकल्चर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट होगा जोकि प्राईवेट सेक्टर ने टेक आॅफ किया है। कोई फर्टिलाइजर प्लांट लग रहा है वह अलग बात होती है लेकिन यहाँ पर सीधे किसानों से जुडकर इसे बड़े पैमाने पर बिल्डअप करने का सबसे बड़ा पतंजलि ने बीड़ा उठाया है। हम सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर कार्य कर रहे हैं जिसका पूरा विवरण पूज्य स्वामी जी महाराज आपको बता चुके हैं। इसमें हमें केन्द्र से लेकर सभी राज्य सरकारों का बहुत बड़ा सपोर्ट मिल रहा है।
पाॅम प्लांटेशन के बाद ड्राई पीरियड में भी किसान को लगभग 40 हजार प्रति हेक्टेअर की इनकम मिलेगी। जिससे किसान को अपना घर-परिवार चलाने में कोई दिक्कत या परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेेगा। ये पूरे देश का आजादी के बाद को सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है जिसको केन्द्र सरकार ने लांच किया है और राज्य सरकारें भी सपोर्ट कर रहे है। जो नई पालिसी सरकार ने लांच की है उसमें कभी तेल का दाम घट भी जाता है तो किसान नुकसान नहीं होगा। अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में दाम ऊपर-नीचे होते रहते हैं लेकिन केन्द्र सरकार का पूरा सपोर्ट किसानों भाईयों के साथ है। तीसरा हमारा लक्ष्य है कि हमें एक कम्पनी को नई बुलंदियों पर ले जाना है।
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