हरिद्वार। कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर परिसर में शारदिय नवरात्री के पावन पर्व पर परम पूज्य स्वामी जी महाराज एवं श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कन्या पूजन किया। 9 दिनों तक चले वैदिक अनुष्ठान का समापन पूरी विधि-विधान के साथ किया गया, जिसमें गायत्री की उपासना की गई। परम पूज्य स्वामी जी एवं श्रद्धेय आचार्य श्री ने सभी कन्याओं के चरण धोकर उन्हें प्रसाद के रूप में भोजन करवाया और सभी से आर्शीवाद प्राप्त किया।
पूज्य स्वामी जी महाराज ने शारदिय नवरात्री के पावन पर्व पर कहा कि नवरात्रों के 9वें दिनों में माँ शक्ति के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करने का प्रावधान है। इस दिन को हम अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाते हैं। आज देश में जिस प्रकार से अधर्म, आतंकवाद, मंहगाई, गरीबी एवं बेरोजगारी बढ़ रही है। यह देश पुनः श्रीराम जी व श्रीकृष्ण का भारत बने, वीर-वीरागंनाओं का भारत बने, आज इसकी महती आवश्यकता है। इस कार्य के लिए सभी को कठोर पुरुषार्थ करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि, शान्ति व वैभव हो। देश में आतंक से लेकर महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व स्वास्थ्य के प्रश्न हैं। इन तमाम वैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक संघर्षों व संकटों के बीच हमारा राष्ट्र आगे बढ़े इसके लिए हमने गायत्री यज्ञ किया है। 28 वर्ष पहले हमने यह यात्रा इसी स्थान से प्रारंभ की थी और आज यह संस्थान योग, आयुर्वेद, स्वदेशी का प्रेरक संस्थान है। इसके लिए हम सम्पूर्ण राष्ट्रवासियों के प्रति कृतज्ञ हैं। हम संकल्पबद्ध हैं कि योग, आयुर्वेद, स्वदेशी एवं अन्य प्रकल्पों के माध्यम से अर्जित अर्थ से परमार्थ करते हुए इस देश को बहुत आगे ले जाएँगे।
इस पावन पर्व पर श्रद्धेय आचार्य जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति परम्परा और सनातन हिन्दू परम्परा में नवरात्रों की विशेष महत्ता है। हमारी संस्कृति, परम्परा और हमारे पूर्वजों की विधा का अनुसरण करते हुए हमने 9 दिन उपवास करके शारदिय नवरात्री के पावन अवसर पर वृहद् यज्ञ का आयोजन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम देवी के रूप में परमात्मा का स्मरण करते हैं, उनकी उपासना करते हैं। पतंजलि परिवार ने भी 9वें दिनों तक यज्ञ एवं अनुष्ठान किया, जिसमें हमने गायत्री की उपासना की। उसके उपरान्त कन्याओं को भोजन प्रसाद का भोग लगाकर नवरात्रों का समापन किया। आचार्य जी ने कहा कि यह हमारी समृद्धशाली परम्परा का हिस्सा है। इसको उद्दात्ता व वैज्ञानिकता के साथ बनाना हमारा सबका कत्र्तव्य भी है, जिसका निर्वहन पतंजलि परिवार पूरी निष्ठा के साथ कर रहा है। उन्होंने समस्त देशवासियों को विजयदशमी की शुभकामनाएँ प्रस्तुत करते हुए कहा कि विजयदशमी का पर्व हमारे गौरव का प्रतीक है। इस पावन पर्व पर हमारे अंदर असुरत्व की समाप्ति हो, देवत्व का प्रादुर्भाव हो जिसके तहत हम रामराज्य की स्थापना कर सकें। सबके भीतर मानवीय संवेदनाओं का जागरण कर सकें। रोग, शोक और बीमारी से मुक्त समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकें। इस अवसर पर साध्वी देवप्रिया, बहन ऋतम्भरा, श्री रामभरत, श्री अजय आर्य, बहन अंशुल, बहन पारूल, भाई राकेश कुमार जी, साध्वी देवादिति, साध्वी देवविजया सहित संन्यासी भाई-बहन उपस्थित रहे।