स्वदेश स्वाभिमान - Swadesh Swabhiman

विश्व शांति सम्मेलन :  विश्वबंधुत्व के लिए संकल्प, शांति का संदेश

  नागपुर में राष्ट्रीय अंतरधर्मीय परिषद् में उठे स्वर, विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरुओं ने शांति की अपील

   नागपुर (महाराष्ट्र)। परमेश्वर को ही प्रकृति में विविधता चाहिए। इसलिए नाना प्रकार के रंग एवं सुगंध के फूल प्रकृति ने इंसान की झोली में डाले हैं, इंसान को भी विभिन्न धार्मिक मान्यताओं को स्वीकार करना चाहिए। एक ही धर्म है- मानवता, जो फर्क है वह पंथ , संप्रदाय एवं उपासना की पद्धति का एक-दूसरे के प्रति आदर भाव रखकर अगर हम आगे बढ़ें तो भावी पीढ़ी धर्म को वजह से होने वाली हिंसा से मुक्त रहेगी।
     इन शब्दों में विश्व विख्यात आध्यात्मिक गुरुओं ने नागपुर से विश्व को विश्वबंधुत्व एवं शांति का संदेश दिया। लोकमत पत्र समूह के नागपुर संस्करण के स्वर्ण जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में विगत दिवस नागपुर में सांप्रदायिक सौहार्द्र के लिए वैश्विक चुनौतियां और भारत की भूमिकाविषय को लेकर राष्ट्रीय अंतरधर्मीय परिषद् का आयोजन किया गया। कविवर्य सुरेश भट सभागृह में आयोजित इस परिषद् में धर्मगुरुओं ने विश्व में फैली हिंसा पर चिंता व्यक्त की। हजारों वर्षों से विविधता में एकता की संकल्पना की राह पर चल रहा भारत सहिष्णुता एवं सौहाद्र्र के बल पर पहले से ही आध्यात्मिक विश्वगुरु है। इस परिषद में केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी जी प्रमुख अतिथि थे। महापौर श्री दयाशंकर तिवारी जी सम्माननीय अतिथि के रूप में मौजूद थे, दि आर्ट आॅफ लिविंग, बेंगलुरु के प्रणेता श्री श्री रविशंकर जी, पतंजलि योपगपीठ, हरिद्वार के संस्थापक योगगुरु स्वामी रामदेव जी महाराज, बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के धर्मगुरु ब्रह्मविहारी स्वामी, नई दिल्ली स्थित अहिंसा विश्वभारती के संस्थापक आचार्य डाॅ. लोकेश मुनि जी, मुम्बई के आर्चविशप कार्डिनेल ओसवाल्ड ग्रेसिएस, अजमेर शरीफ दरगा के गद्दीनशीन हाजी सैयद सलमान चिश्ती जी, जीवन विद्या मिशन, मुम्बई के संस्थापक प्रह्लाद वामनराव जी और लेह- लद्दाख स्थित महाबोधी अंतरर्राष्ट्रीय तपसाधना केन्द्र के संस्थापक भिक्खु संघसेना ने परिषद में अपने विचार व्यक्त किए, इस अवसर पर लोमत समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयमैन एवं पूर्व सांसद विजय दर्डा जी, लोकमत पत्र समूह के एडिटर इन चीफ राजेन्द्र दर्डा, संचालक (परिचालक) अशोक जैन व लोकमत के समूह संपादक विजय वाविस्कर उपस्थित थे।
    आध्यात्मिक गुरुओं ने कहा प्रकृति का नियम कभी बदलता नहीं है और वह बदल भी नहीं सकता है। वह धर्म से ही जुड़ा होता है। जैसी क्रिया वैसी प्रतिक्रिया होने का अहसास रखकर और उसे आत्मसात कर सामाजिक सौहार्द्र स्थापित किया जा सकता है। परस्पर संवाद सहित अन्य धर्मों का भी अस्तित्व स्वीकार करने का दृष्टिकोण तैयार करने की आवश्यकता है। सभी धर्माचार्यों ने जो दिया कि परस्पर सामंजस्य और अहिंसा व शांति की भावना से ही धार्मिक सौहार्द्र व एकता स्थापित हो सकती है। विजय दर्डा जी ने प्रास्तावित भाषण में परिषद के आयोजन का उद्देश्य स्पष्ट किया। लोकमत समाचार और राजेन्द्र दर्डा जी ने आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर सभी धर्माचार्यों और अतिथियों के हाथों लोकमत पत्र समूह के दिवाली विशेषांक दीपोत्सव और दीपभव का विमोचन किया गया।

 

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