स्वदेश स्वाभिमान - Swadesh Swabhiman

75वाँ स्वतंत्रता दिवस राश्ट्रहित सर्वोपरि मंत्र के साथ मनाया

  हम यह सोचें कि देशहित व राष्ट्र निर्माण के लिए हम क्या योगदान दे सकते हैं: आचार्यश्री

देश निर्माण व राष्ट्र रक्षा के लिए जीवन दान से बड़ा कोई योगदान नहीं: पूज्य आचार्य जी

   हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज तथा पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने पतंजलि योगपीठ के विभिन्न परिसरों में ध्वजारोहण कर संपूर्ण स्वाधीनता की संकल्पना के साथ देशवासियों को 75वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
      इस अवसर पर ध्वजारोहण के पश्चात पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि हम आजादी के इस अमृत महोत्सव में पतंजलि योगपीठ की ओर से तीन सौगात देश को देना चाहते हैं। सबसे पहले हम इस देश को आर्थिक लूट की गुलामी से बचाने के लिए विदेशी कम्पनियों को परास्त करेंगे। इस लक्ष्य की प्राप्ति में हम केवल एक पायदान पीछे हैं। मात्र हिन्दुस्तान यूनिलीवर ही एफ.एम.सी.जी. क्षेत्र में हमसे आगे है। पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि आने वाले अधिकतम तीन से पाँच वर्षों में हम पूरी दुनिया के सबसे बड़े ब्रांड होंगे। विदेशी कम्पनीयाँ देेश को लूट रही है किन्तु दुर्भाग्य है कि कोई इसकी चर्चा तक नहीं करता और पतंजलि इसका डटकर सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि पतंजलि व्यापार नहीं उपचार और उपकार करते हुए राष्ट्र उद्धार कर रहा है, और करता रहेगा। इस देश को आर्थिक लूट और गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए पतंजलि और रुचि सोया को दुनिया का नम्बर-वन ब्रांड बनाना है। यह देश को हमारी पहली आहुति है। पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि 1835 में मैकाले इण्डियन एजूकेशन एक्ट बनाकर गया, जिसने हमारी अध्यात्म व धर्म आधारित शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। हम भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि गुरुकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज और आचार्यकुलम् के माध्यम से मैकाले की शिक्षा पद्धति समाप्त कर भारतीय शिक्षा व्यवस्था की प्रतिष्ठा करेंगे और यह हमारी दूसरी आहुति होगी।
     देश की चिकित्सकीय व्यवस्था पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज इस देश में मेडिकल टेरिरिज्म, मेडिकल अनार्की फैल रहा है। इससे देश को मुक्ति दिलाने के लिए पतंजलि बहुत बड़ा कार्य करेगा और इस राष्ट्र को चिकित्सा की दृष्टि से आजादी दिलाएगा। योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा भारत की राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति होगी। डब्लू.एच.ओ. माने या न माने, भारत के 135 करोड़ लोगों में हम भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रति जज्बा जगाएँगे। यह हमारी देश के प्रति तीसरी आहुति होगी।
      ओलंपिक खेलों में पदक विजेताओं को बधाई देते हुए पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि आने वाले समय में कई पदक विजेता विश्वविख्यात पतंजलि आयुर्वेद व पतंजलि रुचि सोया के उत्पादों के ब्रांड एम्बेसेडर बनाए जायेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी ओलंपिक खेलों में पतंजलि के खिलाड़ी भी सहभागिता करते नजर आयेंगे। कार्यक्रम में पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि हम उन वीर वीरांगनाओं को नमन करते हैं जिनके तप, त्याग व बलिदान ने देश को आजादी दिलाई। उन्होंने कहा कि पतंजलि किसी भवन या स्थान का नाम नहीं अपितु उस भवन में रहकर अहर्निश अपनी ऊर्जा, शक्ति, सामथ्र्य से इस राष्ट्र निर्माण के लिए, देश के सृजन के लिए, देश को विश्वगुरु बनाने के लिए लगी एक संयुक्त टीम है। श्रद्धेय आचार्य जी महाराज ने कहा कि कोरोनाकाल में चारों ओर करुण क्रंदन है, चारों ओर भय और अशांति का वातावरण है, नकारात्मकता का बोलबाला है। कई बेटों-बेटियों ने अपने माँ-बाप को खोया है। पूज्य स्वामी जी महाराज ने पतंजलि योगपीठ को निमित्त बनाकर न जाने देश की कितनी प्राणों की रक्षा की है। कोरोनाकाल में पूरा विश्व जब एक वायरस के सामने नतमस्तक था तब पतंजलि योगपीठ ने अनुसंधान कर कोरोनिल का निर्माण किया और करोड़ों लोगों को काल का ग्रास बनने से बचाया। यदि यही कार्य किसी अन्य देश के द्वारा किया जाता तो शायद वहाँ उत्सव व उत्साह होता पर यहाँ के कुछ गद्दारों को कोरोनिल की प्रामाणिकता हजम नहीं हुई। कोरोनिल के खिलाफ इस देश में हजारों षड्यंत्र किए गए, पतंजलि के खिलाफ नकारात्मकता फैलाने का प्रयास किया गया। अंत में सत्य की जीत हुई और विरोधियों को मुँह की खानी पड़ी। विपरीत परिस्थितियों में भी पतंजलि ऐसे ही राष्ट्र निर्माण का कार्य करता रहेगा।
 

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