हरिद्वार। पतंजलि द्वारा निर्मित औषधि को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रोटोकाॅल व गाईडलाइन्स के अनुसार सर्टिफिकेशन मिला है। इस औषधि का प्रयोग 158 देशों में कोरोना के उपचार में किया जाएगा। जल्दी ही विश्वकल्याण के लिए इस दवा का लोकार्पण किया जाएगा। इस अवसर पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के सैकड़ों वैज्ञानिकों ने अहर्निश अथक पुरुषार्थ करके पहले क्लिनिकल केस स्टडी तथा बाद में कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल करके, औषधि अनुसंधान (Drug Discovery) के सभी प्रोटोकाॅल्स का अनुपालन करते हुए कोरोना के सम्पूर्ण उपचार के लिए सफल औषधि ‘कोरोनिल’ तथा ‘श्वासारि वटी’ की खोज की है।
इस ऐतिहासिक घटना पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है जब ऋषियों के प्राचीन ज्ञान को विज्ञान-सम्मत बनाने में हमने सफलता हासिल की है। क्योंकि जब तक औषधि की प्रामाणिकता सर्वमान्य नहीं होती तब तक उसका आंकलन सही प्रकार से नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि हमने दिव्य श्वासारि वटी, पतंजलि गिलोय घनवटी, पतंजलि तुलसी घनवटी एवं पतंजलि अश्वगंधा कैप्सूल की संयुक्त एवं उचित मात्राओं तथा दिव्य अणु तैल के संयुक्त प्रयोग से सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए हैं। इन्हीं गुणकारी औषधियों के घनसत्व के संमिश्रण से कोरोना महामारी की औषधि ‘कोरोनिल’ तथा ‘श्वासारि वटी’ तैयार की गई है। पूज्य आचार्य श्री ने बताया कि इन औषधियों में, अश्वगंधा में निहित शक्तिशाली कम्पाउण्ड विथेनाॅन, गिलोय के मुख्य कंपोनेंट टिनोकाॅर्डिसाइड, तुलसी में पाए जाने वाले स्कूटेलेरिन, तथा दिव्य श्वासारि वटी की अत्यंत प्रभावशाली जड़ी-बूटियों जैसे-काकड़ा शृंगी (Pistacia integerrima), रुदंती (Cressa Cretica), अकरकरा (Anacyclus Pyrethrum) के साथ-साथ सैकड़ों फाइटोकैमिकल्स या फाइटो मेटाबोलाइट्स तथा अनेक प्रभावशाली खनिजों का वैज्ञानिक सम्मिश्रण है, जो कोरोना के लाक्षणिक (Symptomatic) एवं संस्थापित (Systemic) चिकित्सा से लेकर रोगी की व्याधिक्षमत्व (Immunity) बढ़ाने में प्रामाणिक व वैज्ञानिक रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कोरोना का भय दिखाकर दवा कम्पनियों की मंशा अपार पैसा कमाने की थी। ड्रग माफियाओं ने तो अरबों की योजनाएँ भी बना ली थी। किन्तु एक संन्यासी तथा एक आचार्य की जोड़ी ने उनके मनसूबों पर पानी फेर दिया है।