स्वदेश स्वाभिमान - Swadesh Swabhiman

आयुर्वेद अमृत:  संस्कृति व रोगी सेवा में पतंजलि एक प्रयास है.....

आयुर्वेद को लेकर क्या हैं चुनौतियाँ?
    योग आपको लगता होगा कि आयुर्वेद को लेकर क्या चुनौतियाँ हो सकती हैं पर शायद बहुत से लोगों को यह नहीं पता है कि आयुर्वेद न बढ़े इसके लिए कितने कुत्सित प्रयास किए जाते हैं। सरकार जितना बड़ा बजट आयुर्वेद को बढ़ाने के लिए देती है, उससे बहुत बड़ा बजट ड्रग माफिया, ड्रग कम्पनियाँ आयुर्वेद को रोकने के लिए खर्च करती हैं। सरकार तो प्रयास कर रही है किन्तु इसको रोकने केलिए न जाने कितने प्रयास व षड्यंत्र किए जा रहे हैं और इसके लिए बड़े स्तर पर आर्थिक तंत्र को झौंका जा रहा है।
    रोग, शोक, समस्याओं का एकमात्र साधन योगः आज का समय समस्याओं व जटिलताओं का है। चारों ओर रोग, शोक, बीमारियाँ मुँह बाए खड़ी हैं। इस स्थिति में आधुनिक औषधि या संसार के बाकी संसाधनों से बचा नहीं जा सकता है। यदि किसी साधन से बचा जा सकता है तो वह एकमात्र साधन योग है।
धर्मं शरणं गच्छामि। बुद्धं शरणं गच्छामि। योगं शरणं गच्छामि।
योग-आयुर्वेद से मानवीय मूल्य बढ़ते हैं
      चरक, सुश्रुत आदि ऋषियों ने जिस योग-आयुर्वेद को लेकर हमें सेवा के लिए नियुक्त करने की बात की थी कि मनुष्य मात्र को स्वर्ग और सभी सुखों व राज्यों की कामना से बढ़कर रोगियों की दुःख व पीड़ा की समाप्ति के लिए जगत में काम करना है, यह तो आयुर्वेद व योग वाले ही कर सकते हैं क्योंकि योग-आयुर्वेद से मानवीय संवेदनाएँ व मानवीय मूल्य बढ़ते हैं।
     हमने ऋषियों के संकल्प को अपना मानाः हमारे लिए गौरव की बात है कि हमने अपने ऋषियों के संकल्प को अपना माना। हमारा भाव है कि योग-आयुर्वेद के युवा विद्यार्थी ऋषियों के संकल्प को, हमारे संकल्प को अपना मानेें और यह परम्परा यू ही आगे बढ़ती रहे। इस पावन परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखना हम सबका कत्र्तव्य है।
    धरती के वातावरण को बनाए रखना हमारा दायित्व: धरती इतनी विशाल है। जब हम इस धरती पर आए तो हमें बड़ा सुन्दर वातावरण, मनोहारी प्रकृति, नदियाँ, झरने, पहाड़, वृक्ष आदि मिले। उस समय हमें यह धरती जैसी मिली, हमें इसे उससे भी सुन्दर व बेहतर बनाकर जाना है। बस यही संकल्प हमारे मन में होना चाहिए कि हमें इस धरती को प्रदूषण मुक्त बनाना है, वृक्षारोपण कर पृथ्वी के वातावरण व पर्यावरण को सुन्दर व मनोहारी बनाना है। यह हमारा नैतिक दायित्व भी है। वृक्षारोपण कार्यक्रम केवल 5 जून पर्यावरण दिवस तक ही सीमित न रखें अपितु जीवन पर्यन्त वृक्षारोपण का संकल्प लें।
      इंस्ट्रूमेंटल सपोर्ट केवल एलोपैथ के लिए नहीं: हमारा योग, हमारी आयुर्वेद विधा को हम इतनी प्रबलता, प्रगाढ़ता, दृढ़ता व व्यापकता के साथ मजबूत पैरों पर खड़ा कर चुके हैं कि अब उस पर आँच भी नहीं आ सकती। केवल हम यह देखना चाहते हैं कि 5-10 प्रतिशत क्रिटिकल पेशेंट्स हैं या इंस्ट्रूमेंटल सपोर्ट पर हैं उन पर हम आयुर्वेद में क्या कर सकते हैं। कोई भी मशीन चाहे वह सी.टी. स्कैन हो, एम.आर.आई. हो या सर्जरी हो, ये कोई पैथी नहीं हैं अपितु टेक्निकल या इंस्ट्रूमेंटल सपोर्ट या स्किल्स हैं। ये मशीनें केवल एलोपैथी वाले प्रयोग करेंगे, आयुर्वेद वाले प्रयोग नहीं करेंगे, ऐसा कहीं कोई प्रावधान नहीं है।
     व्हाट्स-एप यूनिवर्सिटी बहुत खतरनाकः वर्तमान समय में व्हाट्स-एप की यूनिवर्सिटी बहुत खतरनाक है। पहले लोग शास्त्र पढ़ते थे, किताबें पढ़ते थे, प्रतिदिन स्वाध्याय करते थे किन्तु वर्तमान समय में हम अपना अधिकांश समय अनर्थक, निरर्थक, अनावश्यक और जीवन को अवनति की ओर धकेलने वाले विचारों में, दृश्यों में यापन करते हैं।
     पतंजलि एक प्रयास हैः पतंजलि आयुर्वेद के पुनर्जागरण और भारतीय संस्कृति विधा आश्रित योग-आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर पहुँचाने का एक प्रयास है। हम अपने आप भी यह सोचते हैं और आपके प्रति भी यही भाव रखते हैं कि हम सबके हृदय में एक भाव सदैव रहना चाहिए कि यदि हमको किसी क्षेत्र में विशेष कार्य करना है तो अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और अधिक परिश्रम भी करना पड़ता है। चुनौतियाँ तो बुलाकर नहीं आती हैं परन्तु परिश्रम आप अपनी इच्छा से कर सकते हैं।

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