भारत के विश्वविद्यालयों को विदेशी विद्यालयों से बेहतर बनना होगा: प.पूज्य स्वामी जी महाराज
हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में देवभूमि के 18 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का भारत और हमारी भूमिका विषय पर विचार संगोष्ठी में मूल्यपरक शिक्षा, युवाओं में नैतिकता-आध्यात्मिकता का समावेश और समग्र विकास को लेकर गहन विचार मंथन हुआ। सभी ने देवसंस्कृति विवि में जीवन जीने की कला, जीवन प्रबंधन, सोशल इंटर्नशिप, सृजना आदि कार्यक्रमों को सराहा और इसी तरह अपने- अपने विवि में भी योजनाएं चलाने पर विचार व्यक्त किया।
विचार संगोष्ठी के मुख्य अतिथि आरएसएस के अखिल भारतीय जनसंपर्क प्रमुख माननीय श्री रामलाल जी ने कहा कि भारत को दुनिया का नेतृत्व करने के लायक बनाना है। इस हेतु जन-जन में राष्ट्र प्रेम व भक्ति के भाव जाग्रत् करना है। उन्होंने कहा कि विश्व में जिन देशों ने खुशहाली पाई है, उनमें उनके राष्ट्र के नागरिकों की देश प्रेम व भक्ति और अनुशासन का बड़ा योगदान है। श्री रामलाल जी ने कहा कहा कि हमारे विवि ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण करें, जो देश का सही नेतृत्व करने योग्य बन सकें। ऐसा होने से ही हमारा देश विकसित राष्ट्र की श्रेणी में अव्वल होगा। पतंजलि विवि के कुलाधिपति परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि शिक्षा, सामाजिक सहित सभी क्षेत्रों, में मानसिक, आध्यात्मिक व नैतिक दृष्टि से सबल व्यक्तियों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें समन्वित रूप से वैचारिक, आर्थिक और नैतिक दृष्टि से पूरे विश्व का मार्गदर्शन करने के लिए युवाओं को तैयार करना है। परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि भारत के विश्वविद्यालयों को विदेशी विद्यालयों से बेहतर बनना होगा। इससे पूर्व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डाॅ. चिन्मय पांड्या ने कहा कि भारत की भूमि से ही विश्व को प्रकाशित करने वाला ज्ञान प्रकाश निकला है, जो पूरे विश्व को आलोकित कर रहा है। भारत की भूमि में ही अध्यात्म, ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को विश्व में पहुंचाने वाले स्वामी विवेकानंद, युगऋषि पं.श्रीराम शर्मा आचार्य जी जैसे महान् व्यक्तित्व का आविर्भाव हुआ। यह समय भारत के जागरण का समय है। इससे पूर्व विचार संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का शुभारम्भ आरएसएस के भारतीय जनसम्पर्क प्रमुख श्री रामलाल जी, प.पू.स्वामी जी महाराज, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डाॅ. चिन्मय पांड्य जी आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।