स्वदेश स्वाभिमान - Swadesh Swabhiman

स्वामी श्रद्धानंद के विचारांे का दर्षन है गुरुकुल: पू.स्वामी जी

स्मरण : 96वें बलिदान दिवस पर श्र(ांजलि सभा, यज्ञ के साथ निकाली शोभायात्रा

  विकल्प रहित संकल्प, अखण्ड पुरुषार्थ, बड़ी सोच, कड़ी मेहनत और पक्का इरादा ही व्यक्ति को बड़ा बनाते हैं। -पूज्य स्वामी जी महाराज

   हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में स्वामी श्रद्धानंद के 96वें बलिदान दिवस पर शुक्रवार को श्रद्धांजलि सभा हुई। दयानंद स्टेडियम में श्रद्धांजलि सभा यज्ञ के साथ शुरू हुई। विवि के विभिन्न संकायों और विभागों की ओर से शहर में शोभायात्रा निकाली गई। मुख्य अतिथि योग गुरु स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद ने गुरुकुल की स्थापना आत्मबोध और वेदबोध के लिए की थी। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध गुरुकुल की स्थापना क्रांतिकारी घटना थी। कहा कि गुरुकुल मात्र संस्था नहीं एक आंदोलन है। स्वामी श्रद्धानंद की विचारधारा का बहुत बड़ा दर्शन है। पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि सामाजिक, राजनीतिक, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय शिक्षा परंपरा को स्वामी श्रद्धानंद ने लागू की। पतंजलि विवि के प्रतिकुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने स्वाधीनता के संग्राम में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। वैदिक विद्वान प्रो. ज्वलंत शास्त्री ने कहा कि संकल्प लेना चाहिए कि स्वामी श्रद्धानन्द के चिंतन और विचारधारा से जुड़े साहित्य का देशभर में व्यापक प्रचार-प्रसार कराएं। कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि भारतीय भाषा, संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान और सभ्यता को नष्ट करने के अंग्रेजों के प्रयासों को निष्फल करने के लिए स्वामी श्रद्धानंद ने गुरुकुल की स्थापना की। इस अवसर पर परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने गुरुकुल शोध पत्रिका का विमोचन किया। इस मौके पर कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार, प्रो. विनय विद्यालंकार आदि मौजूद रहे।
 
 

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