हरिद्वार। योगऋर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि भक्ति से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। श्रीमद्भागवत ज्ञान और भक्ति का अपार सागर है। संतों के सान्निध्य में कथा श्रवण करने और ज्ञान को आचरण में धारण करने से कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। ये बातें परम पूज्य स्वामी जी महाराज ने जगदीश स्वरूप आश्रम में आयोजित संत सम्मेलन में कहीं।
भूपतवाला (हरिद्वार) के जगदीश स्वरूप आश्रम में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ की समाप्ति और मूर्ति स्थापना समारोह के मौके पर संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए प.पू.स्वामी जी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर स्वामी विद्यानंद की स्मृति में विशाल भवन का निर्माण कर समाज को समर्पित करना सराहनीय है। जगदीश स्वरूप आश्रम सेवा का प्रमुख केंद्र बनेगा।
संत सम्मेलन में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष पूज्य स्वामी रविंद्रपुरी (महानिर्वाणी) ने कहा कि प्राचीन परम्परा के अनुसार एक पुत्र राष्ट्र के लिए एक पुत्र समाज और गृहस्थ जीवन के लिए और एक पुत्र संन्यासी होना चाहिए। सनातन धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए यह जरूरी है। वहीं, श्रीनिरंजनी अखाड़े के पूज्य आचार्य महामण्डलेश्वर कैलाशानन्द गिरी जी ने कहा कि एक परिवार में चार बच्चे होने चाहिए। वहीं, महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानन्द गिरी, कोठारी महंत जसविंदर सिंह और पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी जी ने स्वामी अमृतानन्द और स्वामी अनंतानन्द को आश्रम निर्माण पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कि संस्कृति और ज्ञान की गतिविधियां आश्रम में संचालित होंगीं। संत सम्मेलन में अनेक पूज्य संतगणों का आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।