स्वदेश स्वाभिमान - Swadesh Swabhiman

पतंजलि फूड्स लि. के तत्वावधान में लाॅच

दिल्ली के कांस्टिट्यूशन क्लब से पतंजलि फूड्स के तत्वाधान तथा प.पू. स्वामी जी महाराज के मार्गदर्शन में पतंजलि फूड्स लिमिटेड ने प्रीमियमाइजेशन ड्राइव के अंतर्गत उपभोक्ताओं के लिए न्यूट्रास्यूटिकल्स, हेल्थ बिस्कुट, न्यूट्रेला के बाजरे से बने उत्पाद और प्रीमियम सूखे मेवों में नए उत्पाद लाॅच किए हैं। पतंजलि फूड्स ने विभिन्न उपभोक्ता क्षेत्रों के लिए कुल 14 नए उत्पाद लाॅच किए हैं।          -संपादक
       विगत दो दशकों में योग, आयुर्वेद और स्वदेशी को एक शिखर आरोहण पतंजलि के माध्यम से मिला है। इस बार का हमने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम रखी है, ‘युग के लिए योग’, ‘आत्मनिर्भरता के लिए योगऔर रिजुविनेशन के लिए योग। आज योग धर्म, युग धर्म बन गया है और योग धर्म के माध्यम से वेद धर्म, ऋषि धर्म और सनातन धर्म को जो गौरव मिला है, वह अप्रतिम है। पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है। इस साइंस और टेक्नोलाॅजी की सेंचुरी में अध्यात्म (स्प्रिचुअलिटी) आज शिखर पर है।
      सनातन का गौरव सब ओर से प्रतिष्ठापित हो रहा है और गुलामी की सब निशानियां ध्वस्त हो रही हैं, इसलिए पतंजलि ने ये शब्द चुना युग के लिए योग। योग धर्म आज युग धर्म बन गया और योग धर्म के माध्यम से सनातन धर्म को एक वैश्विक प्रतिष्ठा मिल रही है। वो युग धर्म के रूप में प्रतिष्ठापित हो रहा है। स्वाबलंबन आत्मनिर्भरता के लिए योग। हम हेल्थ में भी स्वावलंबी बनें, वेल्थ क्रिएशन में भी स्वावलंबी बनें, ब्रांड्स में भी स्वावलंबी बनें। कब तक विदेशियों की झूठन चाटते रहेंगे और उनसे लुटते रहेंगे और विज्ञान की सदी में इतना गहरा अज्ञान भी फैल सकता है, फैलाया जा सकता है, ये माॅडर्न मेडिकल साइंस ने करके दिखा दिया।
    WHO से लेकर पूरा मेडिकल सिस्टम, माॅडर्न वल्र्ड के सारे साइंटिस्ट ये मानते हैं कि डीजनरेट हुए लीवर, किडनी, लंग्स, हार्ट, ब्रेन, स्किन सेल्स को तमरनअमदंजम नहीं किया जा सकता। हमने रिसर्च एंड एविडेंस बेस मेडिसन बनाकर योग, आयुर्वेद, पंचकर्म, षट्कर्म और अपने सनातन ज्ञान, परंपरा के बल पर इन डीजनरेट अंगों व सेल्स को तमरनअमदंजम किया है। समय के कालचक्र में आर्थिक और राजनीतिक साम्राज्य ध्वस्त होते रहते हैं। रोज कोई सत्ता के शिखर पर, कोई संपत्ति के शिखर पर, नया व्यक्ति आ जाता है, छा जाता है। आर्थिक या राजनीतिक साम्राज्य नहीं होता अपितु सांस्कृतिक साम्राज्य बड़ा होता है।
    हमने अपने पूर्वजों से योग, आयुर्वेद और वेदों का जो ज्ञान पाया, उसके बल पर वह करके दिखाया जो डब्ल्यूएचओ और पूरा मेडिकल सिस्टम भी नहीं कर पाया। हमने पतंजलि में डिजरनेट हुए लीवर, किडनी, लंग्स, हार्ट, ब्रेन, आँख, कान, स्किन, बोन के सेल्स को योग व आयुर्वेद से रिजुवेनेट करके दिखाया है।
    दो दशक पहले जमाना पतंजलि को कम जानता था। लगभग एक दशक पहले जब पतंजलि ने यहीं से कहा था कि हम पतंजलि का 10 हजार करोड़ का टर्नओवर करेंगे तब बहुत से लोगों ने बोला कि बाबा कुछ ज्यादा ही बड़बोला है। फिर मैंने कहा था कि हम 20 हजार करोड़ का टर्नओवर करेंगे, हम यूनीलिवर को भी टक्कर देंगे, बाकी के तो लिवर हमने ठीक-ठाक कर ही दिए हैं। कोलगेट के अपने आप ही गेट बंद हो रहे हैं। जब मैंने यह कहा था कि हम एक दिन यूनिलीवर से भी बड़ी कंपनी होंगे, तब लोगों ने पतंजलि का उपहास, मखौल उड़ाया था। पतंजलि को अपनी हैसियत में रहने के लिए बात कही थी। लेकिन आज मुझे कहते हुए फक्र है कि हम पतंजलि का ग्रुप टर्नओवर लगभग 45 हजार करोड़ रुपए के आसपास पहुँच चुका है। एक संन्यासी ने आर्थिक साम्राज्य खड़ा नहीं किया, अर्थ को परमार्थ के लिए उपयोग करके, समृद्धि को सेवा के लिए खड़ा किया जा सकता है, इसका एक विश्व कीर्तिमान पतंजलि ने घड़ा है।
    31 हजार 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का टर्नओवर पतंजलि फूड्स का है जो पहले रुचि सोया हुआ करती थी। इसकी मार्केट कैपिटल आज 40 हजार करोड़ से ऊपर है। यह 50 हजार करोड़ तक के मार्केट कैप को छू चुका है। पतंजलि फूड्स और कैपिटल मार्केट में शेयर मार्केट में, इक्विटी मार्केट में किसी संन्यासी ने पहली बार, किसी कंपनी को लिस्टिंग करवा करके और उसको एक शिखर आरोहण दिया है। जब रशिया और यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ तो पूरी दुनिया में एक अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ था, तब हमने उस कंपनी की लिस्टिंग करवाई थी।
    आज पतंजलि फूड्स पूरे विश्व की, फ़ूड की, एग्री की, और FMCG की एक सबसे बड़ी कंपनी बनने की और अग्रसरित है। विदेशी कंपनियों में केवल यूनिलीवर हमसे आगे बची है। बाकी सबको हमने शीर्षासन कराया है, बहुतों का तो मोक्ष भी हो चुका है, उसके आगे तैयारी है। हम तो सबका कल्याण चाहते हैं और अब नए संकल्पों के साथ सबको स्वास्थ्य मिले, सबको समृद्धि मिले, सब रोगमुक्त हों, नशामुक्त हों, सबके जीवन में दुःख, दरिद्रता खत्म हो, सब खुशहाल बनें। यह राजनैतिक नारा नहीं है, हमने करके दिखाया है।

   आज पतंजलि से डायरेक्ट, इन-डायरेक्ट करीब 5 लाख लोगों की रोजी-रोटी चलती है। यह स्वावलंबन या आत्मनिर्भरता का किसी प्राइवेट इंस्टीट्यूशन के द्वारा ऐसा एक आंदोलन चल रहा है जिससे करोड़ों लोग आत्मसात हो रहे हैं। और यदि रीच की बात करें तो दुनिया के 200 देशों में लगभग 200 करोड़ लोगों तक हमारी रीच है। पतंजलि यदि केवल भारत की बात करें तो आधे से ज्यादा भारत की आबादी को हमने कस्टमाइज किया है। पूरी दुनिया में कस्टमर बेस और रीच की बहुत बात होती है और इसमें आईआईटी, आईआईएम, आँक्सफ़ोर्ड, हावर्ड, कैम्ब्रिज के पढ़े हुए लोग, हमको ठेंगा दिखाया करते थे, हमको बोलते थे इन भारत में हिंदी को और गुरुकुल में पढ़ने वालों को तो यह चीजें आती ही नहीं है। लेकिन हमने गुरुकुल में पढ़कर के सनातन संस्कृति के बल पर, सत्य के बल पर, सात्विकता के बल पर जो काम किया है आज पूरी दुनिया में एक नजीर (उदाहरण) बना है। आज दुनिया के बड़े-बड़े इंस्टीट्यूशन्स, ऑक्सफ़ोर्ड से लेकर के दुनिया की बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटीज, आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में जो पतंजलि के बारे में लोगों को ब्रांड स्टोरी बताई है, वह तो ठीक है ही लेकिन इसके आगे भी हमारा बड़ा लक्ष्य है।
   अभी हम 70 करोड़ से ज्यादा भारतीयों तक पहुँच चुके हैं, 100 करोड़ से ज्यादा भारतीयों तक पहुँचने की हमारी तैयारी है। मासेस तक तो हम पहुँचे ही चुके थे, क्लासेज को भी कैटर करने के लिए हम आगे बढ़ रहे हैं। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि आज हम इमेजिन क्लास, अपर मिडिल क्लास, मिडिल क्लास से ऊपर जो प्रीमियम क्लास है, उनके लिए प्रीमियम प्रोडक्ट्स लाॅन्च कर रहे हैं। प्रीमियम प्रोडक्ट्स के तौर पर नुट्रेला जो पतंजलि फूड्स का बहुत ही प्रीमियम ब्रांड है, उसमें सोया बड़ी भी है, बिस्किट भी है, बहुत सारी बमतमंसे भी आ गए। न्यूट्रीला में neutriciticals हैं, उसमें स्पोट्र्स न्यूट्रिशन एक पार्ट है और प्रीमियम आॅइल दूसरा पार्ट है।
    हमने न्यूट्रास्युटिकल्स में animals और chemical based synthetic चीजें खा-खा कर, बच्चों की किडनियां खराब होती हुई देखी हैं, लोगों को मरता हुआ देखा है। इसकी खबर यद्यपि इस रूप में नहीं बन पाती है क्योंकि वे कंपनियां बड़ी शक्तिशाली हैं और उनका मीडिया मैनेजमेंट बहुत अच्छा है। वो मानवता का जो नुकसान कर रहे हैं, उसको वो कभी भी हाईलाइट नहीं होने देना चाहते। कितने लोगों की किडनियां खराब हुई? कितने लोगों की आँखें खराब हुई? कितने लोगों के ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक होकर के मौतें हुई हैं।
     हमने नुट्रीला, आइसोवेदा, न्यूट्रीला वेव प्रोटीन, 100% नेचुरल प्लांट बेस्ड और मिल्क बेस्ड, यह प्रोटीन और उनकीefficacy chemical animalbasedsynthetic न्यूट्रास्युटिकल से ज्यादा है। यह पतंजलि नेscientifically proof करके दिखाया है। चाहे वो प्रोटीन पाउडर हैं, विटामिन्स हैं या ओमेगा है। अभी हमने testosterone जो मेल हार्माेन्स हैं उनको प्राकृतिक तरीके से योग के साथ- साथ, आहार के तौर पर भी उनको किस तरह से उभार करके व्यक्ति के जहाँ पौरुष को और जगाया जाए। ऐसे यह सारे के सारे नेचुरल प्रोडक्ट्स और उसकी नई रेंज प्रीमियम रेंज आज हम यहाँ पर पूरे देश के लिए लेकर आए हैं क्योंकि न्यूट्रस्टिकल्स में करीब-करीब 99% MNC's का कब्जा है, वो कब्जा, वो अतिक्रमण भी हमें हटाना है।
   इसके साथ-साथ सारे विटामिन-डी, बी-12, कैल्शियम, आयरन, ओमेगा और कोलेजन पाउडर जो मछली और सूअर के चमड़ी को रगड़ के, घोट करके तैयार करते थे, उसकी बजाय हमने इन्हें flax seed से, सिबकथाॅर्न से तैयार किया। ओमेगा से लेकर veg collegen builder भी हमने पूरे देश की सेवा में दिया है। ओर्थो केयर, डायबिटीक केयर और मास-गेनर यह नए प्रोडक्ट हमने न्यूट्रीला स्पोट्र्स में दिए हैं। रागी और सेवन ग्रेन पूरे देश में मैदा रहित ट्रांसफेट और कोलेस्ट्राॅल रहित बिस्किट की शुरुआत पतंजलि ने की। यद्यपि इसमें तीन ब्रांड ब्रिटानिया, आईटीसी और पार्ले हमसे आगे हैं लेकिन चैथे नंबर पर पूरे देश में यदि कोई सबसे बड़ा ब्रांड हैं तो वो पतंजलि ने स्थापित किया है। पतंजलि फूड्स के प्रोडक्ट रागी में हाई प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, फाइबर हैं। और डाइजेस्टिव बिस्कुट की बात करें तो यह एक श्रेष्ठ उत्पाद है। नहीं तो बिस्किट खाओ तो पेट ख़राब हो जाते थे। पहले हमने आरोग्य बिस्किट बनाया जो पेट के लिए अच्छा है। लेकिन अब यह सारा का सारा रागी से लेकर के 7 ग्रेन्स का पहला देश का यह बिस्किट है। हमारा एक ही लक्ष्य होता है कि माॅडर्न लाइफ स्टाइल में, माॅडर्न प्रोडक्ट्स में भी वैल्यू एडिशन किया जाए और हमने रागी, ज्वार, राइस, कोर्न और वीट के साथ चना और ओट्स यह डालकर के 7 ग्रेन्स के साथ यह बिस्किट भी तैयार किया। और डाइजेस्टिव बिस्किट में भी एक हेल्दी बिस्किट का एक नया अवतार, एक प्रीमियम अवतार पूरे देश को हमने दिया है।
    अब बात आती है काजू, बादाम, अखरोट, पिस्ता यह भी प्रीमियम, ड्राई फ्रूट्स की। तो न्यूट्रीला में हमने इनको इसलिए लाॅन्च किया कि वैसे तो पतंजलि हमारा बहुत बड़ा umbrella brand है, लेकिन क्योंकि यह nutritious भी है और यह बहुत ही अच्छीquality का और विश्व के जो शीर्ष सप्लायर्स, कंपनियां जो कि ड्राई फ्रूट्स में विश्व में जिनका नाम है उनके साथ हमने यह एग्रीमेंट करके इन चीजों को आगे शुरू किया है। तो आज न्यूट्रीला स्पोट्र्स, बिस्किट के प्रीमियम ब्रांड और ड्राई फू्रट्स के प्रीमियम ब्रांड को हम आपके सामने लेकर के आए हैं। हमने दूध बिस्किट का एक नया कीर्तिमान बनाया है कि 800 करोड़ का एक नया ब्रांड, गाय के दूध के बिस्किट का खड़ा किया जा सकता है। गाय का घी का पतंजलि ने ब्रांड खड़ा किया, पहले लोग पहले सफेद घी खाते थे। अब 15 सालों के बाद हम इनििंसव देसी घी भी लेकर के आ रहे हैं, वह भी देश को मिलेगा। लेकिन पतंजलि ने गाय का घी को ब्रांड बनाकर लगभग आज 1400 से 1500 करोड़ का ब्रांड हमने गाय की घी का खड़ा किया। आज देश में डेयरी क्षेत्र में अमूल का कोई सानी नहीं है। वो दूध भले ही पतंजलि से ज्यादा बेचता हो, मक्खन हो सकता है ज्यादा बेचता हो लेकिन गाय का घी का करीब organized सेक्टर में लगभग 70-80% किसी के पास शेयर है तो वह पतंजलि के पास है। अब पतंजलि baffolo घी, वाइट घी भी लेकर के आ रहे हैं।
    हमारा एक पूरा विज़न है कि हम आने वाले 5 सालों में पतंजलि को एक बड़े ग्रुप के तौर पर एक लाख करोड़ की ओर लेकर के जाएं, और पतंजलि फूड्स जो लिस्टिड कंपनी है इसको 48 से 50 हजार करोड़ रुपए तक लेकर जाएं। क्योंकि पतंजलि फूड्स एक लिस्टिड कंपनी है इसलिए मेरा कुछ भी कहना उसके पीछे एक गंभीरता, एक प्रामाणिकता को दर्शाता है और जो हम promise कर रहे हैं उसको जमीन पर उतारना, execute करना यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। हमने masses को स्वस्थ, सात्विक औरaffordable price दिए। अब क्लासेज को जो emrging class है, जो upper middle class है, उसको भी हम प्रीमियम प्रोडक्ट्स और प्रीमियम प्राइस के साथ दे रहे हैं, जिससे कि इस पतंजलि फूड्स के साथ में जो जुड़े हुए हमारे इन्वेस्टर्स हैं, वो भी अपने वेल्थ क्रिएशन में आगे बढ़ सकें। इसके साथ-साथ आंध्र प्रदेश के पिद्दापुरम में पाॅम प्लांटेशन के लिए बड़ा अभियान चल रहा है। देश में 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपए हमारी बनततमदबल की हानि होती है। इससे हमारा फाॅरेन डेफिसिट होता है। क्योंकि मलेशिया, इंडोनेशिया और तमाम अफ्रीकन और कुछ अमेरिकन देशों से, कुछ रशिया से, कुछ यूक्रेन से हम एडिबल oil बाहर से खरीदते हैं। हमारा संकल्प है कि बाहर से हमारी खाद्य तेलों पर निर्भरता खत्म हो।
   आज दूध का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है और भारत खाद्यान्नों में भी हमें दूसरों की तरफ नहीं देखना पड़ता। दालों में भी काफी हमने (भारत ने) दूसरों पर निर्भरता कम की है। तो खाद्य तेलों में भारत आत्मनिर्भर बने उसके लिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने 12 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी दी। प्राइमरी नर्सरी, सेकेंडरी नर्सरी प्लांटेशन से लेकर के उसके सिंचाई से लेकर के और खाद पानी की सबकी व्यवस्था के लिए, और अब इसमें पतंजलि ने काम किया है कि करीब उसमें अभी चालीस से पचास हजार फार्मर्स जुड़े थे। आगे हम चार से पाँच लाख किसानों को जोड़ रहे हैं। और करीब बीस लाख एकड़ जमीन के ऊपर पाॅम प्लांटेशन का काम कर रहे हैं। इसमें तीन बातें खास हैं, कुछ लोग कहते हैं पाॅम प्लांट होने से कोई एनवायरनमेंट का इशू आएगा। एनवायरनमेंट अच्छा होगा, जो उबड़-खाबड़, जमीन, बंजर, जमीन, जो उपजाऊ जमीन नहीं है, वहाँ पर और unused land, वहां पर ज्यादातर पतंजलि ने प्लांटेशन अभी तक किया और आगे और भी करने का इरादा है। जिसमें एक हेक्टर में जितना नाॅर्मल हम सरसों, सोया और चाहे वो मूंगफली पैदा करते उससे चार गुना ज्यादा oil इसमें पैदा हो जाता है और इसमें refined ही नहीं यदि उसको अब हम उसका virgin palm oil भी ले करके आ रहे हैं। उससे ज्यादा किसी भी तेल की food value नहीं है, nutrition value नहीं है। तो एक तरफ जंगल बढ़ेगा, पेड़ बढ़ेंगे, आक्सीजन की मात्रा बढ़ेगी, वर्षा ज्यादा होगी, जमीन उपजाऊ होगी, किसान की समृद्धि बढ़ेगी, पर्यावरण का नुकसान होने का प्रश्न ही नहीं है। दूसरी तरफ भारत का एक्सपोर्ट पर निर्भरता हमारी कम होगी, और यह करीब पाँच लाख लोगों तक हम किसानों तक समृद्धि का एक की नई सौगात दे सकेंगे।
प्रश्न: ऐसा लोगों का कहना है कि जो लोग जिम जाते है  और न्यूट्रीशिनल प्रोडक्ट जैसे प्रोटीन आदि का उपयोग करते हैं, वे काफी हानिकारक है?
उत्तरः जो केमिकल बेस्ड एनिमल बेस्ड और सिंथेटिक न्यूट्रिसिटिकल्स हैं, विटामिन्स हैं, सच में वो हमारी बाॅडी को नुकसान पहुँचाते हैं, इसलिए मैंने पहले ही कहा कि यह 100% नेचुरल प्लांट बेस्ड, बाॅयो फर्मेंटेड, orgenic प्रोडक्ट हमने उपलब्ध कराए हैं, जो बिलकुल भी हानिकारक नहीं हैं, और इसका पूरा क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल करके स्टडीज करके यह प्रोडक्ट लाॅन्च किए हैं। ये खाली पदार्थ बेचने के लिए नहीं, लोगों को बचाने लिए है। कोई व्यापार के लिए नहीं अपितु उपचार और उपकार की भावना से कि लोग जो भी लें वह उनको अंदर सेheal करे और उनको हम ultimate product दे सकें। उसी लिए यह पूरा का पूरा पुरुषार्थ है।
    मैंने कहा ना इकत्तीस हजार करोड़ प्लस पतंजलि फूड का पीएफएल जो लिस्टेड कंपनी है और उसके अलावा पतंजलि का ग्रुप टर्नओवर वो चवालीस से पैंतालीस हजार करोड़ के आस- पास पहुँच गया है ग्रुप टर्नओवर और यहाँ किसी भी देशवासी के लिए गौरव की बात है कि हिंदुस्तान का एक फकीर जिसको अपने लिए कुछ भी नहीं चाहिए वो देश में एक फकीर नई नजीर बना रहा है कि चाहे आईआईएम में, आॅक्सफ़ोर्ड, हार्वर्ड, कैम्ब्रिज में पढ़ो लेकिन ब्रांड अपने देश के बनाओ, विदेशी कंपनियों के गुलाम ना बनो। अपने देश में कुछ नया खड़ा करो। उसका कीर्तिमान पतंजलि ने बनाया है। किसी भी राजनैतिक व्यक्ति को यह टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है कि जो संन्यासी है उनको क्या करना चाहिए? संन्यासियों के कर्तव्य, वेदों में, दर्शनों में, उपनिषदों में, भगवत गीता में refined हैं।
अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः ।
स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः ।।
     अर्थात् संन्यासी कौन है? जो स्वयं अकाम और निष्काम रहता हुआ सुबह चार बजे से लेकर के रात को दस बजे तक देश के लिए पुरुषार्थ और परमार्थ करता हो, वह संन्यासी है। वह किसी भी क्षेत्र में, किसी भी पिमसक में काम कर सकता है, वो कृषि, उद्योग, राजनीति, मीडिया में कार्य कर सकता है। समाज जीवन के किसी भी क्षेत्र में एक संन्यासी निर्दाेष भाव से सेवा कर सकता है।
   एडिबल आयल में ये बीस लाख एकड़ पतंजलि का हो जाएगा बाकी दूसरे लोग भी काम कर रहे हैं तो करीब-करीब तो दस लाख टन का प्रोडक्शन तो पतंजलि की तरफ से ही हो जाएगा। साल भर में अकेला, बाकी और दूसरे भी लोग काम करें। पाँच साल का ये प्रोजेक्ट है पूरा, एक दिन में तो नहीं होगा, क्योंकि जो पाॅम बोया जाता है वह प्लांटेशन उस साल से लगभग पैंतीस से चालीस साल तक चलता है, लेकिन उसको तैयार होने में चार से पाँच साल का वक्त लगता है और जो ड्राई पीरियड होता है उसी में आदरणीय मोदी जी ने सब्सिडी दी है परहेक्टर चालीस हजार रुपए।
     हाँ जी, एक देश एक कानून, एक झंडा, एक संविधान हम सब एक समान हैं, हमारे पूर्वज एक हैं, प्रकृति एक है, परमेश्वर एक है। विविधता जो है, वो कार्यों से है, विविधता अलग-अलग क्षेत्रों से है। विविधाता अलग- अलग भाषाओं से है, वो बात तो समझ में आती है। लेकिन एक देश के लोगों के लिए एक कानून होता है। तो उसमें हमारी राष्ट्र में निष्ठा और नागरिकों मे परस्पर न्याय का भाव अधिक बना रहता है। बाकी तो कुछ पेेनमे को लोग व्यर्थ में राजनीतिक रुवीकरण का एक माध्यम बनाते हैं।
   मैं पोलिटिकल व्यक्ति तो हूँ नहीं। आप सबको पता है, मैं सर्वजात, सर्व समाज सर्व कौम की बात करने वाले व्यक्तियों में से हूँ। मैं तो कहता हूँ जो अज्ञान को दूर करे वो ब्राह्मण, जो अन्याय को दूर करे, वो क्षत्रिय, जो अभाव को दूर करे, वो वैश्य और जो अशुचिता को दूर करे, वो शुद्र और मैं खुद फोर-इन- वन हूँ।
ब्राह्मणोऽस्य मुखामासीद्बाहू राजन्यरू कृतः ।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रोऽजायतः ।।
    बात रही हिंदू-मुसलमान की तो भाई यह आपके कुछ आंतरिक प्रैक्टिसेस हो सकती हैं। देश में तो सबको एक समान ही रहना चाहिए। इंडिविजुअल रूप में आप ओम् का जप करते हैं या अल्लाह का ध्यान करते हैं या आप गायत्री मंत्र जपते हैं या आप और किसी तंत्र-मंत्र-यंत्र की साधना करते हैं, वो आपका व्यैक्तिक विषय है। राष्ट्र में सबके लिए एक कानून, एक विधान, संविधान और हम सब एक समान है एकता, समानता, स्वाधीनता रहे, मेरे देश में चरित्र की महानता रहे, हमने तो यही गीत गाए।
   इंडिया में बहुत कुछ बनाएंगे। अभी तो इसलिए तो कह रहा हूँ पूरे देशवासियों से चलो मैं एक बात बड़े परिपेक्ष में कहता हूँ जो भी स्वामी रामदेव कर रहा है जो भी इन्वेस्टर्स आएंगे, लिस्टिंग का प्रोसेस है, आगे भी और दो-तीन कंपनियां हम लिस्ट करवाएंगे। पतंजलि वैलनेस से लेकर, पतंजलि आयुर्वेद से लेकर जो भी कुछ होगा लेकिन स्वामी रामदेव के पुरुषार्थ से, पूज्य आचार्य जी के पुरुषार्थ से जो कुछ भी हमारे पास होगा वह सौ प्रतिशत देश की सेवा के लिए होगा। पदकपअपकनंस ूमंसजी स्वामी रामदेव का होगा ना आचार्य बालकृष्ण का होगा।
  यह कोई काॅर्पाेरेट कहने की ताकत नहीं रखता। सबको अपनी बीवी बच्चों के लिए महल बनाने हैं, हमें देश बनाना है। और देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी भी बनाएंगे, जिसमें देश और विदेश के कम से कम रेजिडेंशियल एक लाख से ज्यादा, और नाॅन रेजिडेंशियल पाँच लाख से ज्यादा बच्चे शिक्षा पाएंगे। वह विश्वविद्यालय बनाएंगे, जिसमें हमारे बच्चे बाहर जाकर के पढ़ने में नहीं, यहाँ पढ़ कर के गौरव अनुभव करें। बाहर के लोग यहाँ पढ़ने के लिए आए बाहर के लोग पतंजलि ब्रांड का इस्तेमाल करें। उस तरह का हम ब्रांड बना रहे हैं। अपने एक्सपोर्ट को भी बढ़ा रहे हैं। लगभग पचास देशों में हम पहुँच चुके हैं, सौ देशों में जाने की हमारी तैयारी है। दुनिया जीतेंगे, अपने पुरुषार्थ और पवित्रता के बल पर।
   पांच साल के अंदर आपके सामने उद्घाटन होगा। तो सरकार से पूछिए मैं सरकारी प्रवक्ता नहीं हूँ, मैं असरकारी लेकिन असरकारी साधु जरूर हूँ। दस रुपए में कोलगेट नहीं है हमारा। कोलगेट दूसरा है। हमारा दस रुपए में दंतकांति मिलता है, दस रुपए में बिस्किट भी मिलता है, दस रुपए में बहुत कुछ मिलेगा। लेकिन दस रुपए में यह isoveda नहीं मिलेगा। जो, जो दस रुपए में मिलने वाली चीज़ दस रुपए में मिलेगी। हमने, हमने मासेस को भी दिया है, क्लासेज को भी दे रहे हैं। आपके पास में किसी के पास में फिर भी कोई अभाव हो तो charity कर देंगे।

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