पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में बाॅलटन, यू.के. में योग शिविर का आयोजन किया गया जिसमें हजारों की संख्या में भाई-बहन उपस्थित रहे। |
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पूरे विश्व में पतंजलि योगपीठ की निःशुल्क योग कक्षाएं संचालित-
लोग कहते हैं कि इंग्लैण्ड (यू.के.) में फ्री में कुछ भी नहीं मिलता, पर यह हमारे पतंजलि का योग है जो यहाँ भी पतंजलि योगपीठ यू.के. (ट्रस्ट) के वालन्टियर्स निःशुल्क बांटते हैं। मुझको नहीं लगता कि पतंजलि के योग को छोड़कर वहाँ कुछ भी फ्री मिलता है। वो तो पूज्य स्वामी जी की कृपा है जो वीक एण्ड पर हमारी लगभग 400 से ज्यादा कक्षाएं निःशुल्क संचालित होती हैं। पिछले 15-20 वर्षों से हमारे योग शिक्षक अनावरत रूप से निःशुल्क योग कक्षाएं संचालित कर रहे हैं।
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कोरोना काल से लोगों में बढ़ा योग-आयुर्वेद के प्रति विश्वास-
कोविड के समय जब सभी स्वास्थ्यगत व्यवस्थाएं, पूरा मेडिकल सिस्टम, डब्ल्यू.एच.ओ. असहाय हो चला था तब सारी दुनिया ने योग-आयुर्वेद का चमत्कार देखा। जो लोग योग पर विश्वास नहीं करते थे, उनको भी विश्वास करना पड़ा, कि जिन्दगी चाहिए तो योग अपनाना ही पड़ेगा। योग से योग का भला नहीं होगा अपितु योग करने वाले का भला होगा। स्वयं का भला चाहिए तो योग करना ही पड़ेगा। दुनियां में ऐसा कौन है जो अपना भला नहीं चाहता। इसलिए योग को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करें।
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योग की वैश्विक स्वीकार्यता-
हम सब परम सौभाग्यशाली हैं कि परम पूज्य स्वामी जी महाराज के सान्निध्य में योग की विधा को जान व समझ पा रहे हैं। पूज्य स्वामी जी महाराज ने योग को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उसी योग को एक तपस्वी, योगी माननीय प्रधानमंत्रीजी ने यूनाइटेड नेशन में जाकर अंतर्राष्ट्रीय योग-दिवस के रूप में मान्यता दिलाई। 170 से ज्यादा देशों ने योग को स्वीकार्यता दी और आज प्रत्येक वर्ष 21 जून को पूरी दुनिया योग के रंग में रंगी नजर आती हैं देश चाहे कोई भी हो, भाषा चाहे कोई भी हो, समझ में आती हो या न आती हो, लेकिन योग सबको समझ में आता है। आपको बेशक मेडिटेशन, योग के नियम, आसन, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि और योग के विषय में गहरी-गहरी बातें, न पता हों, योग के विषय में बहुत ज्यादा डीप नाॅलेज न हो लेकिन सबको पता है कि थोड़ा ब्रीदिंग एक्सरसाईज करनी है।
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जीवन में सुख-समृधि व उन्नति प्राप्त करने का सरलतम साधन है योग-
शास्त्रों में लिखा है योगेन योगे सम्पद्यते। इसका सरल अर्थ है कि आप योग करोगे तो योग से योग का रास्ता खुलता जायेगा। आज योगी बनकर योग करना जरूरी नहीं है। योग करोगे तो आपके द्वारा किया गया योग स्वतः ही आपको योगी बना देगा। कई लोग कहते हैं कि हम तो कई चीजों का पालन ही नहीं करते हैं। हम क्या करें? योग करना शुरू करोगे तो सारी चीजें अपने-आप ठीक होने लगेंगी। हमने भारत में साईको सोमेटिक स्टडी की जिसमें हमने अध्ययन किया कि योग करने से शारीरिक व मानसिक स्तर पर कया परिवर्तन होते हैं। हमनें देखा कि योग करने से फिजीकिल, मेंटल तथा स्प्रीच्युअल परिवर्तन होते हैं और आपको कुछ पता भी नहीं चलता। आप जीवन के प्रति सकारात्मक, जीवन की उन्नति देने वाले, सुख, समृद्धि और शांति देने वाले हो जाते हैं।
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जीवन के समस्त दुःखों का निवारण मात्र योग है-
हम चाहे देश या विदेश में हैं, किसी भी कल्चर या कम्युनिटी से सम्बंध रखते हैं, कोई भी भाषा बोलते हैं किन्तु जिन्दगी में दुःख तो कोई नहीं चाहता। दुःख से हम दूर भागते हैं पर दुःख है जो हमारा पीछा ही नहीं छोड़ता। जिन्दगी में दो सुख के लिए दस दुःख उठाते हैं। सुख तो पता नहीं चलता है और दुख सामने खड़े दिखाई देते हैं। हमको लगता है कि जीवन में थोड़ी सी उन्नति होगी, तो सुख आयेगा। थोड़ा सा सुख आया, पर और दुख आगे खड़े दिखायी देते हैं तो इसकी निवृत्ति का उपाय क्या है? इससे छूटने का उपाय क्या है? इससे बचने का उपाय क्या है? संसार में इससे बचने का उपाय है तो मात्र योग हैं योग की शरण में जाकर ही हम दुख से बच सकते हैं। योग में कहीं न कहीं एक भावना है, जागरूकता का भाव है।
लन्दन दूतावास में राजदूत श्रीयुत ज्ञान चन्द्र से भेंट वार्ता
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वसुधैव कुटुम्बकम् में निहित हैं )षियों के भाव-