हरिद्वार। भारत भूमि परोपकार की भूमि है यहां मानवीय मूल्य हमें एक संस्कार के रूप में सिखाए जाते हैं। सभ्यता और संस्कृति एक दूसरे के पूरक होते हैं। स्वामी दयानन्द सरस्वती का जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि हम राष्ट्र सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दें।
यह बात केन्द्रीय कानून एवं न्याय, संस्कृति मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल जी ने वेद-विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ के दूसरे दिन भारत की संस्कृति की वर्तमान चुनौतियां: स्वामी दयानन्द एक समाधान विषय पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमें आज के दिन संकल्प लेना चाहिए कि हम संस्कृति के संरक्षण के लिए स्वयं को हमेशा प्रस्तुत करेंगे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा] महर्षि दयानन्द जी ने जातिवाद को समाप्त करने का मार्ग दिखाया है। वेद पढ़ने वाले सभी ईश्वर की संतान हैं] इसलिए वेद जात] संप्रदाय से इतर मनुष्य बनने की बात करता है। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन के इतिहास में गुरुकुल कांगड़ी की उल्लेखनीय भूमिका रही हैं यह एक तपोभूमि है इस पुण्य भूमि से वैदिक ज्ञान-विज्ञान सारे विश्व में पहुंचना चाहिए। उन्होंने विवि के छात्रों से अह्वान किया कि दुनिया आचरण से बदलती है। इसलिए वे अपने आचरण में गुरुकुलीय परम्परा को अनिवार्य रूप से शामिल करें। सबको अर्थ को परमार्थ में बदलने का संकल्प लेना चाहिएं सांसद डाॅ. सत्यपाल सिंह जी ने कहा] संस्कृति का सबसे बड़ा उद्देश्य लक्ष्य को भेदना सिखाना है उन्होंने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विवि वैदिक ज्ञान-विज्ञान को विश्व पटल पर स्थापित करने का कार्य करेगा।
इस मौके पर स्वामी आर्यवेश] डाॅ. अजय मलिक,कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार,स्वामी प्रणवानन्द, स्वामी आदित्यवेश] स्वामी सुधानन्द योगी,गुरुकुल के पूर्व छात्र-छात्रायें आईपीएस आनन्द कुमार डाॅ. दीनानाथ,प्रो. प्रभात कुमार] प्रो. सुचित्रा मलिक,प्रो. ओम प्रकाश पांडेय आदि मौजूद रहे।