स्वदेश स्वाभिमान - Swadesh Swabhiman

अल्टीमेट सुपर साइन्स ‘आयुर्वेद’   – सम्पादक

अल्टीमेट सुपर साइन्स ‘आयुर्वेद’   -सम्पादक   एलोपैथी का पर्दाफाष कहानी एलोपैथी साइन्स /फार्मा लाॅबी/ड्रग माफिया बनाम   लाॅकडाउन के खाली समय में एक कहानी सुनें। कहानी भी ऐसी कि जो आपको कोरोना से बचा सकती है। यह कथित साइन्स ऐलोपेथी फार्मा लाॅबी/ड्रग माफिया बनाम अल्टीमेट सुपर साइन्स ‘आयुर्वेद’। 16वीं शताब्दी के गैलीलियो की कहानी, लगता है हम 400 साल पहले का जीवन जी रहे हैं इतिहास खुद को दोहरा रहा है जहाँ रोमन साम्राज्य था। रोम एक देश है जहाँ से सिकंदर ने आकर अपने देश पर आक्रमण किया था।…

अल्टीमेट सुपर साइन्स ‘आयुर्वेद’   -सम्पादक

 

एलोपैथी का पर्दाफाष कहानी एलोपैथी साइन्स /फार्मा लाॅबी/ड्रग माफिया बनाम

 

लाॅकडाउन के खाली समय में एक कहानी सुनें। कहानी भी ऐसी कि जो आपको कोरोना से बचा सकती है। यह कथित साइन्स ऐलोपेथी फार्मा लाॅबी/ड्रग माफिया बनाम अल्टीमेट सुपर साइन्स ‘आयुर्वेद’। 16वीं शताब्दी के गैलीलियो की कहानी, लगता है हम 400 साल पहले का जीवन जी रहे हैं इतिहास खुद को दोहरा रहा है जहाँ रोमन साम्राज्य था। रोम एक देश है जहाँ से सिकंदर ने आकर अपने देश पर आक्रमण किया था। जिसे आज इटली नाम का देश कहते हैं, वही जहाँ वह टेढ़ी सी झुकी मीनार है, जिसको देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग जाते हैं। उसी इटली में 400 साल पहले चर्च का साम्राज्य था। साम्राज्य भी ऐसा कि जो धार्मिक संस्था व साम्राज्य कहे, वही सही। चर्च कहे सूर्य पश्चिम से उगता है तो वही सही, पानी सुखा होता है तो वही सही।

किसी की हिम्मत नहीं जो साम्राज्य के खिलाफ एक शब्द बोल सके। बाइबल में लिखा था कि सूर्य पृथ्वी के चारों ओर चक्कर काटता है। उसी इटली में एक थोड़ा अलग प्रकार का बूढ़ा व्यक्ति रहता था जिसने अपनी सारी उम्र किताबों को पढने में, नया-नया सोचने में, नया-नया करने में लगा दी। उसके मन में भाव था कि मानवता को विज्ञान और प्रकाश का मार्ग मिले। वह 18 घंटे विद्यार्थियों को खगोल विज्ञान, प्रकृति व पृथ्वी के विषय में पढ़ता रहता था। अपनी बूढ़ी आंखों से खोज करता रहता था। उसके बारे में बताता रहता था। उसका नाम गैलीलियो था।

गैलीलियो ने बहुत परिश्रम करके एक दूरबीन बनाई, अब यह दूरबीन थी और गैलिलियो। रात को घंटों बैठ कर वो तारों को देखते रहते, जैसे चकोर चाँद को देखता है। सालों यह क्रम चलता रहा। अंत में उसने पाया कि कोपरनिकस की किताब डी. रिवोल्यूशन्स की धारणा सही है, चर्च की बाइबल की गलत।

पृथ्वी सूरज के चक्कर लगाती है, सूरज पृथ्वी का नहीं। 1632 में उन्होंने किताब लिखी, “Dialogue Concerning the Two Chief World Systems.”  1633 में साम्राज्य, जो उस समय कहें तो ऐलोपेथी फार्मा लाॅबी की तरह ताकतवर था। एकदम दाऊद इब्राहिम, अतीक अहमद की तरह बाहुबली। उसको लगा मेरी बात गलत हो जायेगी। अब चर्च ने गैलिलियो को आदेश दिया कि वो अपनी इस बात के लिए सार्वजानिक तौर पर माफी मांगे। गैलिलियो को दबाव में माफी मांगनी पड़ी। गैलिलियो ने माफी मांगते हुए कहा कि बाइबल सही है, सूरज धरती के चारों ओर घूमता है। अब क्योंकि चर्च का राज है। सारी लठैत ताकत भी रोम चर्च के पास है। पर गैलीलियो को पता तो था कि ये सब मूर्ख हैं उसकी सुनेंगे नहीं। लेकिन मुकदमे से बचने के लिए उन्होंने बुदबुदाते हुए एक वाक्य और कहा, लेकिन घूमती तो पृथ्वी ही है, सूरज के चारों ओर। उनके इस माफीनामे के बावजूद धर्म के ठेकेदारों ने उन्हें जेल में डाल दिया। जिससे कि यह बाहर आएगी तो फिर पोल खोलेगा।

8 जनवरी 1642 को 77 साल की उम्र में गैलिलियो की मौत हो गई। गैलीलियो की मौत के 350 साल बाद गैलिलियो को सजा देने वाले लोगों को लगा कि इससे तो पूरी दुनिया में हमारी किरकिरी हो रही है। यह सोचकर उन्होंने माफी मांगी कि हमारा मुकदमा गलत था। हम गलत थे, गैलिलियो सही था। खैर आज 5 साल के बच्चे को भी पता है सही क्या है, गलत क्या है। अब कोई कहे सूर्य घूमता है तो लोग ही विरोध करेंगे और पागलखाने भेज देंगे। पर इस कहानी में आगे ट्विस्ट है। आज से 1 साल पहले कोरोना नाम का एक वायरस आया। ट्रंप ने और दुनिया के ठेकेदार स्वास्थ्य संगठन ने, सारे डाॅक्टरों ने हाइड्रोक्लोरोक्वीन खिला दी कि यह बहुत अच्छी दवाई है, रामबाण है। वह फेल हो गई। फिर फेबीफ्लू खिलाई जो स्वाइन फ्लू के लिए बनाई थी। बताया गया कि यह कोरोना में काम करेगी, यह भी फेल हो गई। फिर रेेमेडिसिविर के लिए मारामारी मचाई, यह भी फेल हो गई। फिर कहा कि प्लाज्मा थैरेपी देंगे तो कोरोना मर जाएगा। कोरोना तो मरा नहीं पर जिसने भी हैड्राॅक्सिक्लोरोक्वीन, फेबीफ्लू, रेमेडिसिविर खाई या प्लाज्मा चढ़वाया, उनमें से बहुत से मर गये। फिर कहा कि यह सब तो काम ही नहीं करती। अब यहाँ गैलीलियो की तरह एक 2 कपड़ों में रहने वाले भगवाधारी लंगोटी वाले पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज आते हैं जो लगातार लगे रहते हैं, रिसर्च करते हैं। वह गैलीलियो की तरह सच बता देते हैं कि वायरस तो धरती पर लाखों सालों से है। उन्होंने बताया कि बैक्टीरिया, वायरस, फंगस लाखों सालों तक आगे भी रहेंगे, इनसे बचना है।

तो योग करो, आयुर्वेद का प्रयोग करो। अब आज के गैलीलियो, पूज्य स्वामी रामदेव जी का फार्मूला, फ्री का फार्मूला फार्मा लाॅबी/ड्रग माफिया को पसंद नहीं आता। अब आज के माफिया के रूप में रोमन साम्राज्य के रूप में, फार्मा लाॅबी, मेडिकल माफिया, ड्रग माफिया जैसे लोग हैं जिनको हाॅस्पिटल का करोड़ों का बिल बनाना है। अब क्योंकि उनके पास पैसा है, पावर है, मीडिया है, ट्विटर और फेसबुक है। ये उस समय के राजा जैसे अब ड्रग माफिया या आई.एम.ए. जैसे लोग सब जगह आयुर्वेद की और सच बोलने वाले आधुनिक गैलीलियो के पीछे पागल कुत्तों की तरह दौड़ पड़ते हैं।

आज के गैलीलियो दो भगवा कपड़ों वाले वैज्ञानिक मानसिकता के पूज्य स्वामी रामदेव जी हैं जो लोगों को इस फार्मा माफिया, मेडिकल माफिया की लूट से बचाना चाहते हैं। जब वह सच बोलते हैं तो सब जगह विरोध किया जाता है। बवाल मचाया जाता है। क्योंकि एलोपैथी, मेडिकल माफिया, ड्रग माफिया की दुकान बंद हो जाएगी। इनकी दुकान कितनी बड़ी है कि यह मेडिकल माफिया और ड्रग माफिया 100 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हर साल करते हैं। यह किसी भी देश के स्वास्थ्य मंत्री को किसी भी देश की सरकार को अपनी जेब में रखते हैं। यह चाहे तो किसी भी देश की सरकार को झटके में गिरा सकते हैं। मीडिया को करोड़ों रुपए की फंडिंग करने का काम करते हैं। आइए! आप और हम आज के आधुनिक गैलीलियो के साथ खड़े हों, योग-आयुर्वेद का साथ दें ताकि महामारियों से, बीमारियों से और फार्मा लाॅबी व ड्रग कंपनियों की लूट से इस देश दुनिया को बचाया जा सके।

जल्द ही ऐसा समय आएगा जब लोग कहेंगे कि एंटीबायोटिक, स्टेराॅइड और यह ड्रग और फार्मा कंपनियों की बनने वाली जितनी भी दवाएं हैं, वह जहर हैं। आने वाले समय में जब लोग योग, आयुर्वेद से पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज, पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी जैसे गैलीलियो को याद करके माफी मांगेंगे, और कहेंगे कि हम गलत थे। लेकिन वह समय आने से पहले हमें आज के इस महामानव जो सम्पूर्ण मानव जाति बचाने आया है, जो बताने में लगा है कि सच क्या है, जो मानवता के लिए जहर- ड्रग्स का, एंटीबायोटिक का, स्टेरॉयड का विरोध कर रहा है, ऐसे आज पूज्य स्वामी रामदेव जी व पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी का साथ देना है। समर्थन देना है। क्योंकि कोरोना एक वायरस नहीं है, कोरोना जैसे एक करोड़ वायरस हो सकते हैं, और उन सब से बचने का तरीका केवल योग और आयुर्वेद है।

About The Author: स्वदेश स्वाभिमान