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योग आयुर्वेद के साथ इस धरती को जहर मुक्त बनाकर विषैले रसायनों व उर्वरकों से
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मुक्त बनाने के कार्य को पतंजलि अब नये मुकामसे करने वाला है : पूज्य आचार्य श्री
हरिद्वार। देश के 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज तथा श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने पतंजलि के विभिन्न परिसरों में ध्वजारोहण कर देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस तथा रक्षाबंधन पर्व की शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि इस बार का 73वाँ स्वतंत्रता दिवस बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि लम्बे समय से चली आ रही धारा 370 की विशेष ऐतिहासिक भूल के सुधार व श्रावणी उपाकर्म रक्षाबन्धन के साथ मनाया जा रहा हैं। उन्होंने अखण्ड भारत के सपने के साथ देश के ऐतिहासिक प्रतीकों की पुनः स्थापना की आशा व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि यहाँ की खुली हवाओं में श्वास लेकर, यहाँ का अन्न-जल लेकर हमारा शरीर बना है। हिन्दु, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई हम सब देश की सन्तान हैं। हम सब इस मातृभूमि को अपनी आराध्या मानकर सेवा करते रहें। इस पवित्र दिन हम सब संकल्प लें कि जब तक शरीर में रक्त की एक भी बूँद बाकि रहेगी और एक भी श्वास बाकि रहेगी, मैं इस देश की सेवा करूँगा, देश से कभी गद्दारी नहीं करूँगा। ये विचार हमारे मन में सदैव रहना चाहिए कि मेरा सब कुछ मेरी मातृभूमि, मेरे वतन से है। इसी संकल्प के साथ 7 लाख से अधिक वीर-वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहूति देकर इस देश को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त कराया। सभी मजहब के लोगों ने स्वतंत्रता के इस आंदोलन में सहभागिता की। ये सच है कि देश की सीमाओं पर लड़कर अपने प्राणों की आहूति देना देशभक्ति है परन्तु 125 करोड़ देशवासियों की देशभक्ति है कि हम जिस भी कार्यक्षेत्र में हैं उसे पूरी ईमानदारी से निभाएँ। अपने कत्र्तव्यों को प्रामाणिकता से निर्वहन करना भी देशभक्ति है। यदि एक किसान अपने खेत में बिना यूरिया, डीएपी व रसायन के अच्छा अन्न उपजाता है, तो वह अन्नदाता किसान की देशभक्ति ही है। श्रद्धेय स्वामी जी महाराज ने कहा कि हमने योग-आयुर्वेद के द्वारा दुनिया के 200 से अधिक देशों में भारत का गौरव बढ़ाया है। हमारे इस आंदोलन में लाखों-करोड़ों हाथ हमारे साथ जुडे़ जिससे हम यह अनुष्ठान सफल बना सके। इस शुभ अवसर पर पूज्य आचार्य श्री ने कहा कि लाखों वीरों के बलिदान का परिणाम है कि हम खुली हवाओं में स्वतंत्रता की सांसें ले पा रहे हैं। देश इन 72 वर्षों में अनेक चुनौतियों व समस्याओं के बीच बहुत कुछ पाया भी है। आज का दिन वीरों की शहादत को साक्षी मानते हुए, अपने जीवन में इस देश को सींचने के लिए, इसे समृद्धिशाली बनाने के लिए उन वीरों और शहीदों को अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ने के लिए हमने क्या किया है, क्या कर रहे है और क्या करना चाहिए, इस विषय पर चिंतन करने का दिन है।
स्वतंत्रता दिवस की 73वीं वर्षगाँठ इसलिए भी महत्वपूर्ण बन गई है, क्योंकि कश्मीर इतने वर्षों के बाद धारा 370 से मुक्त हुआ। स्वतंत्रता की कड़ी में जो एक गाँठ या उलझन थी, उसे भी खोलने का काम माननीय प्रधानमंत्री जी ने किया है। पतंजलि द्वारा विषमुक्त कृषि के क्षेत्र में किए गए प्रयासों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमने योग आयुर्वेद के माध्यमों से राष्ट्र की सेवा की है, श्रद्धेय स्वामी जी ने मा.प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से पूरे विश्व में गुंजायमान किया। लेकिन चिंता का विषय है कि यह भूमि आज बहुत जहरीली हो रही है, हमने रासायनिक कीटनाशकों व रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से इसे बंजर और बर्बाद कर दिया है, यदि यही हालात रहे तो आने वाले समय में यह देश डाइबिटीज, हार्टडिजीज व कैंसर का देश बनने वाला है। उसको रोकने के लिए योग आयुर्वेद के साथ इस धरती को जहर मुक्त बनाकर विषैले रसायनों व उर्वरकों से मुक्त बनाने के कार्य को भी पतंजलि अब नये मुकाम से करने वाला है, इसका सूत्रपात हो चुका है। मुझे खुशी है कि मा.प्रधानमंत्री जी ने आज धरती और कृषि की चिंता की है और जैविक कृषि की वकालत करते हुए रसायनमुक्त कृषि की बात की है। इस कार्य के लिए पतंजलि अथक प्रयास कर रहा है। पतंजलि के द्वारा ऐसा पहला मैकेनिज्म तैयार किया गया है, जिसके द्वारा किसान अपनी भूमि के अन्दर मौजूद तत्वों की मात्रा जान सकेगा तथा अनावश्यक रसायनों के प्रयोग से बच सकेगा। रक्षाबन्धन को लेकर उन्होंने कहा कि इस दिन हम देश की रक्षा का संकल्प लें जिसके अन्दर हम सब की रक्षा सन्निहित है। यह सांस्कृतिक गौरव, राष्ट्रीय गौरव का अद्भुत संयोग है। आइए! सांस्कृतिक उत्थान व मर्यादाओं के पालन के साथ राष्ट्र की रक्षा का संकल्प लेकर हम आगे बढ़ें। इस अवसर पर ध्वजारोहण के पश्चात आचार्यकुलम् के नवदीक्षित ब्रह्मचारियों का उपनयन, वेदारम्भ संस्कारपूर्वक श्रावणी उपाकर्म व रक्षाबन्धन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। योगपीठ में वरिष्ठ बहनों के साथ हजारों बहनों ने पू.स्वामी जी महाराज, श्रद्धेय आचार्य जी महाराज व श्रद्धेय आचार्य प्रद्युम्न जी महाराज की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर पतंजलि गुरुकुलम् की छात्राओं ने श्रीनगर उत्तराखंड स्थित सीमा सुरक्षा बल प्रशिक्षण केन्द्र में स्थित जवानों को रक्षासूत्र बांधा। इस पर जवानों ने देश की रक्षा की प्रतिबद्धता दोहराई। इस अवसर पर वैदिक गुरुकुलम्, पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम्, पतंजलि विश्वविद्यालय, आयुर्वेद महाविद्यालय व पतंजलि के सभी कर्मयोगी भाई-बहन उपस्थित रहे।