स्वदेश स्वाभिमान - Swadesh Swabhiman

साधु का काम समाज को जोड़ना होता है: भागवत

हरिद्वार। साधु स्वाध्याय संगम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक श्री मोहन भागवत जी ने साधु शब्द को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि साधु को इतना काबिल बनना चाहिए कि किसी भी अमीर और वजीर की उसे जरूर न पड़े। उन्होंने कहा कि आज बहुत से लोग सुख की चाह में बाहर की दौड़ लगा रहे हैं। जबकि यह बात समझनी चाहिए कि सुख मन के अन्दर है। पहले उसे प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साधु का काम समाज को जोड़ना होता है। पहले…

हरिद्वार। साधु स्वाध्याय संगम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक श्री मोहन भागवत जी ने साधु शब्द को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि साधु को इतना काबिल बनना चाहिए कि किसी भी अमीर और वजीर की उसे जरूर न पड़े। उन्होंने कहा कि आज बहुत से लोग सुख की चाह में बाहर की दौड़ लगा रहे हैं। जबकि यह बात समझनी चाहिए कि सुख मन के अन्दर है। पहले उसे प्राप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साधु का काम समाज को जोड़ना होता है। पहले गांव, जिला प्रांत और देश को जोड़ें, पूरी दुनिया खुद ही जुड़ जाएगी। पतंजलि योगपीठ के सभागार में आरएसएस की ओर से आयोजित साधु स्वाध्याय संगम के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते श्री मोहन भागवत जी ने कहा कि 300 वर्षों से ईसाई मिशनरियां गुपचुप तरीके से हमारे देश में काम कर रही हैं, लेकिन धर्म बदलकर लोग ईसाई नहीं देशद्रोही बनते हैं। लोगों को इस बात को समझना चाहिए। श्री मोहन भागवत जी ने कहा कि अच्छे कार्य करने के लिए हमें अनेक बाधाओं और उपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन उपेक्षा के कारण मन मंे किसी भी प्रकार की निराशा नहीं आनी चाहिए। यदि हमारे संकल्प और उद्देश्य अच्छे हैं व हम उन्हें पूर्ण करने के योग्य हैं तो हम निश्चित ही सफलता प्राप्त कर सकेंगे। -साभारः अमर उजाला

ऽ कहा, पहले गाँव, जिला प्रांत और देश को जोड़ें, इसके बाद पूरी दुनिया खुद ही जुड़ जाएगी।

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