गुरु ज्ञान, सामथ्र्य और कर्म के साथ एकात्म दिव्य जीवन का राज।
गुरु से प्राप्त ज्ञान को आचरण में आना ही गुरु के प्रति कृतज्ञता
हरिद्वार। गुरुपूर्णिमा पर्व पतंजलि योगपीठ में योग एवं यज्ञ पूर्वक हर्षोल्लास से मनाया गया। प्रातः योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज व पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज कार्यक्रम स्थल पर पहुँचने पर शिष्यों ने तिलक व पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।
योगर्षि स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि समर्थ गुरु वह है जो आपको आदिगुरु ब्रह्म से मिला दे। परम गुरु परमात्मा की पूजा करते हुए अपने जीवन को उस परम गुरु परमात्मा को समर्पित कर देना ही शिष्य का परम कत्र्तव्य है। उन्होंने कहाकि जब भारत वेदानुकूल व शास्त्रानुसार जीवन जीता था, उस समय हमारा विश्वगुरु भारत परम वैभवशाली था। उन्होंने पतंजलि गुरुकुलम् व वैदिक गुरुकुलम् के 200 से अधिक बच्चों को पवित्र ब्रह्मचर्य, उपनयन एवं वेदारम्भ संस्कार सम्पन्न कराया। पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने भारतीय वैदिक सनातन संस्कृति के प्रति निष्ठा रखने वाले करोड़ों भारतीय और विश्ववासियों को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई दी। कोई भी दिन सामान्य या असामान्य नहीं होता परन्तु हमारी संस्कृति एवं सभ्यता के विभिन्न तत्त्व कुछ दिनों को पर्व के माध्यम से विशेष बना देते हैं। इस अवसर पर साध्वी आचार्या देवप्रिया जी ने पतंजलि परिवार के करोड़ों लोगों की तरफ से गुरुजन का अभिनन्दन किया। .साभारः दैनिक जागरण