नई दिल्ली। स्विस बैंकों में धन जमा कराने के मामले में भारत 15 पायदान की छलांग लगाते हुए 73वें स्थान पर पहुँच गया है। इस मामले में पाकिस्तान 72वें और चीन 20वें स्थान पर है। ब्रिटेन शीर्ष पर बराकरार है, जबकि अमेरिका जमाधन में छह फीसदी गिरावट के बाद भी दूसरे पायदान पर है।
केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कालाधन पर अंकुश के दावों की हवा निकालते हुए भारतीयों और भारतीय कम्पनियों ने पिछले साल स्विस बैंकों में 50 फीसदी वृद्धि के साथ 7000 करोड़ रुपये जमा कराए। 2016 में स्विस बैंकों में धन जमा कराने में 44 फीसदी गिरावट के कारण भारत 88वें स्थान पर पहुंच गया था। 2015 में भारत 75वें, जबकि 2014 में 61वें पायदान पर था। इस मामले में भारत की सबसे ऊँची 37वीं रैंक 2004 में थी।
कालाधन की स्विस बैंकों ने अभी नहीं दी जानकारी:
स्विट्जरलैंड नेशनल बैंक (छैठ) ने स्विस बैंकों में जमा धन को देनदारी और ग्राहकों की जमा राशि के रूप में बताया है। वहां के बैंकों में जमा धन के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है। छैठ के आंकड़ों में जिक्र नहीं है कि दूसरे देशों से संस्थाओं के नाम पर भारतीयों और अप्रवासी भारतीयों ने स्विस बैंकों में कितनी रकम जमा कराई। आरोप लगते रहे हैं कि भारतीय और अन्य देशों के नागरिक अवैध दौलत छुपाने और कर चोरी के लिए स्विस बैंकों का सहारा लेते हैं।
अगले साल से रियल टाइम सूचना देगा स्विट्जरलैंड:
स्विस बैंकों में भारतीयों के जमा में वृद्धि की खबर सामने आते ही विपक्ष ने केंद्र पर हमला तेज कर दिया था। इस पर सरकार ने कहा कि स्विस बैंकों में जमा पूरी राशि काला धन नहीं है। भरोसा दिलाया कि विदेश में कालाधन रखने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्विट्जरलैंड ने भारत समेत कई देशों के साथ सूचनाएं साझा करने का वादा किया है। केंद्र का दावा है कि जनवरी, 2019 से स्विट्जरलैंड अपने बैंकों में भारतीयों के खातों की रियल टाइम जानकारी देना शुरू कर देगा।